शाहपुर–जैन कनेक्ट संवाददाता | शाहपुर स्थित भुवनभानु मानस मंदिर में 6 जून से प्रारंभ हुआ तीन दिवसीय दीक्षा महोत्सव 9 जून को एक ऐतिहासिक क्षण के साथ सम्पन्न हुआ, जब अमेरिका में बसे 30 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर ऋषि जावेरी और उनकी माता सूनिताबेन जावेरी ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास का मार्ग अपनाया। ऋषि अब मुनिराज ऋषिहेमविजयजी महाराजसाहेब के नाम से जाने जाएंगे। यह आयोजन न केवल भारत बल्कि विश्वभर के जैन समाज के लिए प्रेरणा का केंद्र बना।
🛕 तीन दिवसीय दीक्षा महोत्सव का आयोजन 6 जून से भुवनभानु मानस मंदिर में आरंभ हुआ यह महोत्सव सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ।
🌍 दुनियाभर से जैन श्रद्धालु हुए शामिल अमेरिका, यूरोप, और भारत के विभिन्न क्षेत्रों से जैन समाज के लोगों ने दीक्षा समारोह में भाग लेकर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की।
👨💻 सफल टेक करियर को कहा अलविदा ऋषि जावेरी, जो कि Salesforce जैसी बड़ी कंपनी में $100,000 से अधिक वार्षिक वेतन पर कार्यरत थे, ने सांसारिक वैभव त्याग दिया।
🎓 उच्च शिक्षा प्राप्त प्रतिभाशाली युवा ऋषि ने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई की थी।
🧘♂️ गुरुजी के संपर्क से मिला मार्गदर्शन ऋषि ने बताया कि गुरुजी से पहली मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया और यहीं से संन्यास का निर्णय पक्का हुआ।
👩👦 माँ-बेटे दोनों ने अपनाया वैराग्य ऋषि के साथ उनकी माता सूनिताबेन जावेरी ने भी दीक्षा ली और उन्हें साध्वी मन्तितारेखा महाराज नाम प्राप्त हुआ।
👳♂️ मुनिराज ऋषिहेमविजयजी का नया नाम दीक्षा के बाद ऋषि को मुनिराज ऋषिहेमविजयजी महाराजसाहेब के नाम से संबोधित किया गया।
🧖♀️ साध्वी हितात्मारेखा की शिष्या बनीं सूनिताबेन सूनिताबेन अब साध्वी हितात्मारेखा महाराज की शिष्या के रूप में आध्यात्मिक साधना करेंगी।
🙏 पांच आचार्य और अनेक संतों की उपस्थिति दीक्षा समारोह में पांच प्रमुख आचार्यों सहित कई साधु-साध्वियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
🕊️ संन्यास के मार्ग ने समाज को दी प्रेरणा ऋषि जावेरी की इस परिवर्तन यात्रा ने युवाओं को वैराग्य, संयम और आत्मिक शांति की राह पर चलने की प्रेरणा दी।
शाहपुर में आयोजित यह दीक्षा महोत्सव यह सिद्ध करता है कि जीवन की सच्ची प्राप्ति केवल सांसारिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और साधना में निहित है। ऋषि जावेरी और उनकी माता का यह त्याग आने वाली पीढ़ियों को धर्म, त्याग और गुरु परंपरा की महत्ता का बोध कराएगा।

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