
सासाराम–जैन कनेक्ट संवाददाता | सासाराम स्थित शांतिप्रसाद जैन महाविद्यालय ने अपने 75वें वर्षगांठ के अवसर पर एक भव्य प्लेटिनम जुबली समारोह का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और गणमान्य नागरिकों ने एकत्र होकर इस संस्थान की गौरवपूर्ण विरासत को सराहा। यह महाविद्यालय बीते सात दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम बिहार के लिए प्रकाशस्तंभ बना हुआ है।
💠 संस्थापक को दी गई श्रद्धांजलि समारोह में दिवंगत शांतिप्रसाद जैन की स्मृति में एक स्मारक का अनावरण किया गया। वे प्रतिष्ठित उद्योगपति, समाजसेवी और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के चेयरमैन थे।
🏢 नए प्रशासनिक भवन का लोकार्पण इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में एक आधुनिक प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया गया, जिससे शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों में गति आएगी।
🎯 विशेष लोगो का अनावरण 75वीं वर्षगांठ की स्मृति में एक विशेष प्रतीक चिह्न (लोगो) का अनावरण किया गया, जो महाविद्यालय की ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक है।
📚 संस्थापक इतिहास से प्रेरणा 1948 में ‘सासाराम कॉलेज’ के रूप में स्थापित इस संस्थान को विनोबा भावे के आग्रह पर शांतिप्रसाद जैन ने आर्थिक सहयोग देकर पुनर्जीवित किया और 1950 में इसका नामकरण उनके नाम पर किया गया।
🏆 NAAC ग्रेड प्राप्त करने वाला एकमात्र संस्थान प्राचार्य नवीन कुमार ने बताया कि यह क्षेत्र का एकमात्र महाविद्यालय है जिसे NAAC ग्रेड प्राप्त हुआ है, जो इसकी गुणवत्ता को दर्शाता है।
🎓 14,000 छात्र कर रहे हैं अध्ययन इस समय 14 विषयों और 9 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में लगभग 14,000 छात्र नामांकित हैं। साथ ही तीन व्यावसायिक कोर्स और B.Ed कार्यक्रम भी संचालित हैं।
📖 प्रशिक्षण केंद्र ने बदली हजारों की किस्मत महाविद्यालय का पूर्व परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र विशेषकर ओबीसी और ईबीसी वर्ग के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद कर रहा है।
🧠 IGNOU और नालंदा स्टडी सेंटर की सुविधा महाविद्यालय परिसर में IGNOU और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्र भी संचालित हो रहे हैं, जिससे दूरदराज के छात्रों को शिक्षा सुलभ हुई है।
🎤 वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति का संबोधन कुलपति शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने शांतिप्रसाद जैन के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने उद्योगों के साथ-साथ शिक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
🏫 जैन परिवार का शिक्षा क्षेत्र में समर्पण जैन परिवार द्वारा सासाराम और डेहरी में क्रमशः 1950 और 1957 में दो कन्या विद्यालयों की स्थापना भी की गई, जो आज भी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
संक्षेप में, शांतिप्रसाद जैन महाविद्यालय की 75 वर्षों की यात्रा केवल एक शिक्षण संस्थान की नहीं, बल्कि उस विचार की है जिसने शिक्षा के माध्यम से समाज को बदलने का संकल्प लिया। यह प्लेटिनम जुबली समारोह उस प्रेरणा और समर्पण का उत्सव है, जो आने वाले वर्षों तक शिक्षा का दीप जलाए रखेगा।
Source : The Times Of India
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