हस्तिनापुर–जैन कनेक्ट संवाददाता | हस्तिनापुर स्थित प्राचीन दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में चल रहे 40 दिवसीय श्री शांतिनाथ विधान के 15वें दिन आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धा और भक्ति से गूंज उठा। इस विशेष अवसर पर लगभग 350 परिवारों ने भाग लेकर धर्म, दर्शन और आत्मकल्याण की ओर कदम बढ़ाया। कार्यक्रम की शुरुआत त्रयतीर्थंकर – शांति, कुन्थु और अरहनाथ भगवान के अभिषेक से हुई, जिसे श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से सम्पन्न किया।
🔱 त्रयतीर्थंकर का अभिषेक मुख्य वेदी में विराजमान भगवान शांति, कुन्थु और अरहनाथ का अभिषेक श्रद्धा भाव से संपन्न किया गया।
🛕 जिनालय में विधिवत पूजा त्रिमूर्ति जिनालय में जिनेंद्र भगवान का धार्मिक विधानों के साथ पवित्र अभिषेक किया गया।
💧 शांतिधारा का पुण्य कार्य ममता जैन, रविंद्र जैन, सम्यक जैन, मानसी जैन सहित अनेक श्रद्धालुओं ने शांतिधारा में भाग लिया।
🌺 मंगल तिलक और बहुमान विधान में भाग लेने वाले सभी श्रद्धालुओं को माल्यार्पण और तिलक कर सम्मानित किया गया।
🧘 चार आराधनाओं पर प्रकाश सुनीता दीदी ने दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप को आत्मा की विशुद्धि के लिए अनिवार्य बताया।
🌀 बारह भावनाओं का चिंतन भावना चिंतन के माध्यम से आत्मिक उन्नयन और स्थायी आनंद की अनुभूति का मार्ग बताया गया।
🔥 अनित्य के मोह से बचने का आह्वान सुनीता दीदी ने बताया कि शरीर, धन, यौवन सभी क्षणिक हैं – केवल आत्मा ही नित्य है।
🏠 धन-दौलत को बताया नश्वर उन्होंने कहा कि मकान, दुकान, प्रतिष्ठा सब अनित्य हैं; आत्मा को ही अपना समझना चाहिए।
🧿 आत्मा की शुद्धि ही सर्वोच्च साधना चैतन्य अविनाशी आत्मा को पहचानने और उस पर ध्यान केंद्रित करने का संदेश दिया गया।
📜 समाजजनों की सक्रिय सहभागिता जीवेंद्र कुमार जैन, मुकेश जैन, राजेंद्र जैन, अनिल जैन सहित अनेक पदाधिकारियों ने कार्यक्रम की सफलता में सहयोग दिया।
इस पावन अनुष्ठान ने श्रद्धालुओं को नश्वरता के बंधनों से ऊपर उठकर आत्मकल्याण की ओर प्रेरित किया। श्री शांतिनाथ विधान के माध्यम से सच्चे आत्म बोध और वैराग्य का बीज समाज के अंतर्मन में अंकित हुआ।
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