
ब्यावर – जैन कनेक्ट संवाददाता | श्री स्थानकवासी जैन वीर संघ संस्थान, ब्यावर के तत्वावधान में शनिवार को नया बास स्थित बिरद भवन में आयोजित “राजप्रश्नीय सूत्र – आत्मा स्वयं परमात्मा” आधारित खुली पुस्तक प्रतियोगिता का पहला चरण सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। यह आयोजन न केवल आगम अध्ययन को प्रोत्साहित करने वाला रहा, बल्कि आत्मचिंतन, गहन अध्ययन और आध्यात्मिक मंथन का भी माध्यम सिद्ध हुआ। प्रतियोगिता में शहर के अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
🔹 नीचे प्रस्तुत हैं इस प्रतियोगिता के मुख्य बिंदु –
🧠 ज्ञानवर्धक प्रतियोगिता का आयोजन प्रतियोगिता “राजप्रश्नीय सूत्र – आत्मा स्वयं परमात्मा” पर आधारित रही, जिसमें श्रावकों को आत्मबोध से जोड़ने का प्रयास किया गया।
📖 खुली पुस्तक परीक्षा की अनूठी शैली प्रतिभागियों को प्रश्नपत्रों के माध्यम से सूत्रों की गहराइयों में उतरने का अवसर मिला, जिससे स्वाध्याय को बल मिला।
🙌 संस्थान अध्यक्ष का उत्साहवर्धन महेंद्र सिंह सांखला ने सभी श्रावकों का उत्साहवर्धन करते हुए आगामी परीक्षाओं में भी सक्रिय सहभागिता की अपील की।
🗣️ संस्कृति पुनर्जागरण का उद्देश्य संस्थान मंत्री पदमचंद बंब ने बताया कि उद्देश्य आगम अध्ययन की संस्कृति को समाज में पुनः जीवंत करना है।
📝 उत्तम प्रतिसाद: 324 पंजीकरण कल आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए अब तक 324 प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया है।
🪔 सूत्रों के सात अध्यायों पर आधारित परीक्षा प्रतियोगिता प्रभारी सचिन गादिया के अनुसार, आज की परीक्षा राजप्रश्नीय सूत्र के प्रथम सात पटलों पर केंद्रित रही।
🌅 गूढ़ विषयों की गहराई भगवान महावीर का समवसरण, आत्म-अभीप्सा, अंतर्संवेदना जैसे विषय आत्मिक उन्नति के प्रमुख स्तंभ बने।
🙏 श्रद्धा एवं समर्पण के साथ सहभागिता शहर के समस्त श्रावक-श्राविकाओं ने कार्यक्रम में श्रद्धा, उत्साह एवं समर्पण के साथ भाग लिया।
👥 गणमान्यजनों की उपस्थिति कार्यक्रम में रतनलाल भंसाली, राजेन्द्र सुराणा, अभिषेक रूनीवाल सहित अनेक प्रमुखजन उपस्थित रहे।
🤝 युवक परिषद का उल्लेखनीय सहयोग आयोजन में युवक परिषद के मनीष मेहता, वैभव सुखलेचा, आशीष सुखलेचा सहित कई युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस आत्मिक, ज्ञानपूर्ण और प्रेरणादायक आयोजन ने समाज में आगम स्वाध्याय की दिशा में एक नई ऊर्जा का संचार किया। प्रतियोगिता के माध्यम से न केवल जैन दर्शन को नजदीक से समझने का अवसर मिला, बल्कि आत्मा के स्वरूप पर गहन चिंतन भी संभव हुआ।
Source : Dainik Bhaskar
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