जयपुर में भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक समारोह

जयपुर–जैन कनेक्ट संवाददाता | जयपुर में सोमवार को भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक के पावन अवसर पर श्रद्धा, भक्ति और आत्मकल्याण की भावना के साथ विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पूरे शहर के 225 से अधिक दिगंबर जैन मंदिरों में विशेष पूजन और अभिषेक की भव्यता देखने को मिली। भक्तों ने निर्वाण लाडू चढ़ाकर प्रभु की मोक्ष प्राप्ति का स्मरण किया और मंगलकामनाएं कीं।

🔸 🌅 शांतिनाथ भगवान के त्रिविध कल्याणक शहरभर में भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक को भक्तिपूर्वक मनाया गया, जो जैन परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है।

🔸 🛕 225 से अधिक मंदिरों में विशेष आयोजन जयपुर के 225+ दिगंबर जैन मंदिरों में पूजन, अभिषेक और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए, जिनमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।

🔸 💧 पंचामृत व जलाभिषेक प्रभु शांतिनाथ का पंचामृत और जल से अभिषेक कर भक्तों ने विश्व में सुख और शांति की कामना की।

🔸 🕊️ शांति धारा का आयोजन शांति धारा के माध्यम से श्रद्धालुओं ने संयम और आध्यात्मिक शुद्धता की भावना प्रकट की।

🔸 🌺 अष्टद्रव्यों से पूजन अष्टद्रव्यों से जन्म व तप कल्याणक के विशेष अर्घ अर्पित कर प्रभु के जीवन प्रसंगों का स्मरण किया गया।

🔸 📜 निर्वाण कांड का पाठ भक्तों ने निर्वाण कांड भाषा का सामूहिक पाठ किया, जिससे मोक्ष कल्याणक की महिमा का भावपूर्ण वाचन हुआ।

🔸 🍬 शांतिनाथ की खोह में लाडू चढ़ाया गया अतिशय क्षेत्र शांतिनाथ जी की खोह में कमल-मंजू वैद के नेतृत्व में निर्वाण लाडू अर्पित किया गया।

🔸 🌞 सूर्य नगर मंदिर में उत्सव सूर्य नगर स्थित मंदिर में अध्यक्ष नवीन जैन व मंत्री धनेश सेठी की अगुवाई में भक्तिमय कार्यक्रम आयोजित हुआ।

🔸 👥 विशिष्ट अतिथियों की सहभागिता कार्यक्रम में दीपिका जैन, निरु छाबड़ा, प्रमिला पाटनी, सुधा जैन व अल्का लोंग्या सहित अनेक समाजश्रेष्ठी उपस्थित रहे।

🔸 🪔 महाआरती के साथ समापन प्रभु की दिव्य महाआरती से कार्यक्रम का समापन हुआ, जिससे पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।

शांतिनाथ भगवान के त्रिविध कल्याणक पर्व ने जयपुर के जैन समाज में अध्यात्म की गहराई, श्रद्धा और संस्कृति की सजीव झलक प्रस्तुत की। यह आयोजन धर्ममय ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र बन गया।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*