गिरिडीह–जैन कनेक्ट संवाददाता | जैन धर्म की सिद्धभूमि श्री सम्मेदशिखर जी में रविवार को एक विशेष अवसर देखने को मिला जब संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री समता सागर जी महाराज ने गुणायतन परिसर में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि “जीवन में कोई तीर्थ हो न हो, लेकिन एक बार सम्मेदशिखर की वंदना अवश्य करनी चाहिए।”
गुणायतन के आचार्य विद्यासागर सभागृह में आयोजित धर्मसभा में देशभर से आये श्रद्धालुओं, साधु-संतों व आर्यिकाओं की उपस्थिति में यह दिव्य आयोजन संपन्न हुआ। शोभायात्रा, प्रवचन, और स्मृतियों के संग धार्मिक भावों से ओतप्रोत वातावरण श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बना।
🔱 सम्मेदशिखर की वंदना का महत्व मुनि श्री समता सागर महाराज ने तीर्थराज सम्मेदशिखर की वंदना को जैन धर्म में अनिवार्य बताते हुए कहा कि यह वंदना आत्मा के शुद्धिकरण का मार्ग है।
🛕 सीआरपी कैंप से भव्य मंगल प्रवेश मुनिसंघ ने सीआरपी कैंप से श्री सम्मेदशिखर के लिए मंगल प्रवेश किया, जिसमें देशभर के श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
🙏 त्रयवार परिक्रमा और नमोस्तु वंदना संतों की वंदना में मुनियों व आर्यिकाओं ने त्रयवार परिक्रमा कर श्रद्धा अर्पित की।
🎉 शोभायात्रा का भव्य आयोजन शोभायात्रा गुणायतन परिसर तक निकाली गई, जिसमें शिखरजी जैन समाज, हजारीबाग, गिरिडीह, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
💃 आदिवासी महिला मंडल की भागीदारी पारंपरिक परिधान में आदिवासी महिलाओं ने नृत्य करते हुए मुनिसंघ की अगवानी की।
🌺 रंगोली और मंगल आरती से स्वागत रंगोली चौक बनाकर श्रद्धालुओं ने पद प्रक्षालन व मंगल आरती के साथ साधु-संतों का सम्मान किया।
🧘 42 वर्ष पुरानी साधना की स्मृतियाँ मुनि श्री ने 1983 की स्मृतियाँ साझा करते हुए अपनी ऐलक दीक्षा और चातुर्मास की घटनाओं को श्रद्धापूर्वक याद किया।
🪷 इसरी को सम्मेदशिखर का हिस्सा बताया मुनि श्री ने इसरी क्षेत्र को भगवान अजितनाथ व संभवनाथ की वंदना भूमि मानते हुए उसे सम्मेदशिखर का अभिन्न अंग कहा।
🌼 आर्यिका गुरुमति माताजी की साधना यात्रा मुनि श्री ने आर्यिका गुरुमति माताजी के साधना पथ की प्रशंसा करते हुए उन्हें समर्पित आर्यिका संघ की प्रेरणा बताया।
🌄 गुणायतन और डोंगरगढ़ तीर्थ का उल्लेख मुनि श्री ने गुणायतन तीर्थ व प्रमाण सागर जी महाराज की भूमिका की सराहना करते हुए डोंगरगढ़ में हुए जीवंत तीर्थ वंदना का उल्लेख किया।
इस धर्मसभा में मुनि श्री समता सागर महाराज की प्रेरणादायक वाणी, संतों का समागम और श्रद्धालुओं की श्रद्धा ने श्री सम्मेदशिखर जी की पुण्यभूमि को और भी पावन बना दिया। यह आयोजन तीर्थ वंदना की आवश्यकता और आत्मिक उन्नति की भावना को जाग्रत करने वाला सिद्ध हुआ।

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