
रायसेन – जैन कनेक्ट संवाददाता | रायसेन में गुरुवार को भगवान महावीर स्वामी की 2624वीं जयंती जैन समाज द्वारा बड़े ही श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई गई। शहर में “जियो और जीने दो” के सिद्धांत के साथ निकली शोभायात्रा ने धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी दिया। चांदी के पालने में विराजमान भगवान महावीर की प्रतिमा से सुसज्जित रथ, गरबा नृत्य करती महिलाएं और पुष्पवर्षा से स्वागत करते श्रद्धालु—पूरे वातावरण को भक्ति और उल्लास से सराबोर कर गए।
🔱 चांदी के पालने में विराजे महावीर शोभायात्रा में भगवान महावीर की प्रतिमा चांदी के पालने में रथ पर सुसज्जित कर भक्तों के दर्शन हेतु निकाली गई।
💃 गरबा नृत्य से सजी शोभायात्रा जैन समाज की महिलाओं ने पारंपरिक गरबा नृत्य प्रस्तुत कर शोभायात्रा को उल्लासमय बना दिया।
🌸 पुष्पवर्षा से हुआ स्वागत यात्रा मार्ग में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया।
🪔 आरती और पूजा-अर्चना से माहौल भक्तिमय समाजजनों ने यात्रा मार्ग में आरती उतारी, भगवान की पूजा कर मंगलकामनाएं कीं।
🚩 परंपरागत मार्ग से गुजरी शोभायात्रा श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर से प्रारंभ होकर दुर्गा चौक, रामलीला रोड, भोपाल-सागर तिराहा, महामाया चौक होते हुए पुनः मंदिर पहुंची।
👨👩👧👦 समाज का एकजुट सहभाग मुकेश जैन, सुधीर जैन, सुभाष जैन सहित समाज के अनेक गणमान्य नागरिकों ने शोभायात्रा में भाग लिया।
🗺️ विश्व स्तर पर मनाई गई महावीर जयंती समाजसेवी राकेश जैन ने बताया कि 9 अप्रैल को 108 देशों में जैन धर्मावलंबियों ने नवकार मंत्र का जाप कर नया कीर्तिमान रचा।
📜 नवकार महामंत्र बना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड नवकार महामंत्र जाप कार्यक्रम को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है, जिससे जैन समाज गौरवान्वित है।
🇮🇳 प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया मंत्र जाप दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस वैश्विक आयोजन में भाग लेकर नवकार मंत्र का जाप किया।
🌍 धर्म और संस्कृति का वैश्विक संदेश यह आयोजन भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व को भगवान महावीर के अहिंसा और अपरिग्रह के सिद्धांतों से जोड़ने वाला साबित हुआ।
रायसेन की यह शोभायात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि अहिंसा, आत्म संयम और सामाजिक एकता का सशक्त संदेश देती हुई संपन्न हुई। जैन समाज की सहभागिता ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि धर्म केवल पूजन नहीं, एक जीवनशैली और सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
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