मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | मुंबई के ऐतिहासिक बलार्ड एस्टेट स्थित IF.BE में 31 जुलाई से 3 अगस्त तक युवा कलाकार प्रित्वीर जैन की एक अनोखी कला प्रदर्शनी ‘सर्कस: द लेट अराइवल’ आयोजित की जा रही है। मात्र 18 वर्ष की उम्र में जैन ने कला के माध्यम से आत्मअन्वेषण और सामाजिक प्रतीकों के गहन मेल को जिस तरह प्रस्तुत किया है, वह न केवल कला प्रेमियों को भावनात्मक रूप से छूता है, बल्कि दर्शकों को भीतर तक झकझोरता है। यह प्रदर्शनी एक दर्पण की तरह है, जिसमें देखने वाले को अपना ही अक्स कहीं न कहीं दिखाई देता है।
🎨 दूसरी एकल प्रदर्शनी का आत्ममंथन से भरा आगाज़ प्रित्वीर जैन की यह दूसरी सोलो शो है, जो शैली नहीं, बल्कि भावों की गहराई में परिवर्तन को दर्शाती है।
🧠 अंदर की दुनिया का कोमल लेकिन गूढ़ चित्रण ‘सर्कस’ के पात्र न तो पूर्ण रूप से पुरुष हैं, न स्त्री, न बच्चे और न ही वयस्क — फिर भी ये कहीं देखे-जाने जैसे लगते हैं।
👁️ दर्शकों को देखने वाले चित्र प्रत्येक चित्र सिर्फ दिखता नहीं, वह आपको देखता भी है — एक मौन संवाद जैसा।
🖋️ कल्पना और यथार्थ का गहन संगम ये चरित्र काल्पनिक नहीं, बल्कि प्रित्वीर की मुलाकातों, रिश्तों और यादों से उपजे हैं।
🎪 ‘सर्कस’ — जीवन के मंच का रूपक यह सर्कस कोई तमाशा नहीं, बल्कि पहचान, अकेलेपन और सामाजिक मुखौटों का प्रतीक है।
🕰️ ‘लेट अराइवल’ — भावनात्मक विलंब का प्रतीक शीर्षक में देरी का अर्थ शारीरिक नहीं, बल्कि आत्म-स्वीकृति और भावनात्मक जुड़ाव का संकेत है।
🧳 प्रदर्शनी एक व्यक्तिगत डायरी के रूप में हर चित्र एक आत्मीय कथा है — देखे हुए, भूले-बिसरे, और खुद से मिले हुए चेहरों की।
🎭 नाटकीयता और संवेदनशीलता का संतुलन चित्रों में थिएटर जैसी गूंज है, लेकिन उसमें नाजुक भावनाओं का विश्राम भी है।
🖼️ कला का आत्म-परिवर्तनकारी स्वरूप यह प्रदर्शनी सिर्फ अतीत नहीं दिखाती, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को भी उजागर करती है।
🎓 RISD की ओर प्रस्थान, पर कला का संदेश सार्वभौमिक प्रित्वीर अब रोड आइलैंड स्कूल ऑफ डिजाइन में शिक्षा लेंगे, लेकिन उनकी कला पहले ही उम्र से परे बोलने लगी है।
प्रदर्शनी 31 जुलाई से 3 अगस्त तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक IF.BE, फोर्ट, मुंबई में सभी के लिए खुली रहेगी। प्रवेश निःशुल्क है। यह आयोजन केवल देखने का नहीं, बल्कि महसूस करने का निमंत्रण है — एक ऐसा अनुभव जो आपको आत्मचिंतन और जुड़ाव के एक नए स्तर पर ले जाता है।

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