
नई दिल्ली – जैन कनेक्ट संवाददाता | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जैन मुनि आचार्य विद्यानंद महाराज के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल हुए। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री ने आचार्य विद्यानंद महाराज पर आधारित एक विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी किया। कार्यक्रम का आयोजन भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से जैन समाज के प्रमुख संत, विद्वान और अनुयायी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उद्बोधन में आचार्य विद्यानंद को ‘युग पुरुष’ और ‘युग दृष्टा’ बताते हुए कहा कि उनका जीवन भारतीय संस्कृति के अमर मूल्यों की प्रेरणा है। आचार्य विद्यानंद की आध्यात्मिक यात्रा, तपस्या और सेवा भावना को लेकर उन्होंने गहरा सम्मान प्रकट किया।
👇 नीचे पढ़ें समारोह की प्रमुख बातें:
📮 आचार्य विद्यानंद को समर्पित डाक टिकट और सिक्का प्रधानमंत्री मोदी ने समारोह के दौरान विशेष डाक टिकट और ₹100 मूल्य का स्मारक सिक्का जारी किया, जो आचार्य विद्यानंद जी के योगदान का प्रतीक है।
📅 28 जून 1987 की ऐतिहासिक स्मृति पीएम मोदी ने याद किया कि इसी दिन 1987 में आचार्य विद्यानंद को ‘आचार्य’ की उपाधि दी गई थी, जो जैन परंपरा में अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
🕊️ ‘युग पुरुष’ के रूप में सम्मान पीएम ने भावुक होते हुए कहा कि आचार्य विद्यानंद मुनिराज केवल संत नहीं, बल्कि युगों को दिशा देने वाले दृष्टा थे।
🌏 भारत की अमर संस्कृति का स्मरण मोदी ने कहा कि भारत की संस्कृति हजारों वर्षों से जीवित है क्योंकि इसके मूल में ऋषि-मुनियों के अमर विचार हैं।
🎉 सालभर चलेगा शताब्दी समारोह यह समारोह एक दिन का नहीं बल्कि पूरे वर्षभर देशभर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के रूप में मनाया जाएगा।
🧘 जैन समाज का गर्व जैन समुदाय के लिए आचार्य विद्यानंद महाराज का जीवन प्रेरणा का स्रोत रहा है, जिन्होंने संयम, सेवा और साधना की मिसाल कायम की।
📚 50 से अधिक ग्रंथों का लेखन उन्होंने प्राकृत भाषा, नैतिकता और जैन दर्शन पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं और 8,000 से अधिक श्लोकों को कंठस्थ किया।
🏛️ मंदिरों के जीर्णोद्धार में योगदान उन्होंने भारतभर में कई प्राचीन जैन मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार में अहम भूमिका निभाई।
🚩 आधिकारिक जैन ध्वज का निर्माण 1975 में भगवान महावीर के 2,500वें निर्वाण महोत्सव पर उन्होंने सभी संप्रदायों की सहमति से जैन ध्वज और अहिंसा प्रतीक निर्मित किया।
🦶 तपस्या और ब्रह्मचर्य का जीवन उन्होंने जीवनभर नंगे पांव यात्रा की, कठोर तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए समाज सेवा में स्वयं को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम ने न केवल जैन समाज को गौरव का अनुभव कराया, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक विरासत की गहराई को भी रेखांकित किया। आचार्य विद्यानंद महाराज की शताब्दी पर यह आयोजन उनके तप, त्याग और विचारों को श्रद्धांजलि है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।
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