बिजौलिया में 29 मई से पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव

बिजौलिया–जैन कनेक्ट संवाददाता | राजस्थान के बिजौलिया नगर में आध्यात्मिक उल्लास और भक्ति की तरंगें गूंजने लगी हैं, जहां 29 मई से शुरू होने जा रहा है पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव। दिगंबर जैन बड़े मंदिर परिसर में आयोजित हो रहे इस विशेष महोत्सव के लिए जैनाचार्य वर्धमान सागर महाराज 36 श्रमणों के साथ नगर में मंगल प्रवेश कर चुके हैं। धर्म और संस्कृति की इस ऐतिहासिक घटना को लेकर पूरा नगर जैन रंग में रंग गया है।

🚩 नगर प्रवेश से आरंभ हुआ उत्सव सुबह 5:30 बजे धाकड़ विद्यापीठ से आचार्य संघ का नगर प्रवेश जुलूस निकला, जिसमें भक्ति की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दी।

🌺 स्वागत द्वारों से सजा नगर मुख्य मार्ग पर आकर्षक स्वागत द्वार सजाए गए थे, जहां श्रद्धालुओं ने आचार्य वर्धमान सागर का पाद प्रक्षालन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

🥁 भक्ति संगीत पर नृत्य पाठशाला बैंड की मधुर धुनों पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे माहौल पूरी तरह धार्मिक उल्लास से भर गया।

🛕 प्राचीन मंदिरों के दर्शन आचार्य संघ ने सुपार्श्वनाथ मंदिर के दर्शन कर बड़े मंदिर होते हुए पार्श्वनाथ तपोदय तीर्थ की यात्रा की।

🍚 संत शाला में आहार चर्या आचार्य वर्धमान सागर और अन्य मुनियों की आहार चर्या संत शाला में अत्यंत श्रद्धा के साथ संपन्न हुई।

🎨 मेहंदी रस्म और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दोपहर में पंच कल्याणक पात्रों की मेहंदी रस्म और महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई।

🪔 नई वेदियों का निर्माण बड़े मंदिर परिसर में पंच नई वेदियों का निर्माण किया गया है, जिन पर भगवान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी।

🛐 भगवान मुनिसुव्रतनाथ और आदिनाथ की प्रतिष्ठा 29 से 31 मई तक भगवान मुनिसुव्रतनाथ और आदिनाथ की नई प्रतिमाएं विधिवत प्रतिष्ठित की जाएंगी।

🌼 पंच कल्याणक की पांच क्रियाएं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष—पंच कल्याणक की ये पांच प्रमुख धार्मिक क्रियाएं श्रद्धालुओं को आत्मिक अनुभूति प्रदान करेंगी।

📜 आचार्य वर्धमान सागर का सान्निध्य समस्त प्रतिष्ठा विधान प्रतिष्ठाचार्य विशाल जी द्वारा, आचार्य वर्धमान सागर के मार्गदर्शन में संपन्न होंगे। वे बीसवीं सदी के प्रथम जैनाचार्य शांतिसागर जी की परंपरा के पांचवें पट्टाचार्य हैं।

बिजौलिया में पंच कल्याणक महोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व है, जो नगरवासियों को संयम, श्रद्धा और सेवा के मार्ग पर प्रेरित करता है। यह आयोजन जैन धर्म की परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हुए अगली पीढ़ी को भी इससे जोड़ने का माध्यम बनेगा।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*