कोटा–जैन कनेक्ट संवाददाता | कोटा की धरती पर एक अनूठा अध्यात्मिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। जैन संत आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज पहली बार खुले आकाश के नीचे, प्राकृतिक वातावरण में तीन शिष्यों को दीक्षा प्रदान करेंगे। यह आयोजन परंपरागत पांडालों से हटकर प्रकृति के सान्निध्य में होगा, जो न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक बनेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा। कार्यक्रम 28 फरवरी से 2 मार्च तक कोटा के मधुबन क्षेत्र के एक विशाल बगीचे में आयोजित होगा, जहां हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
🔸 🌳 पेड़ के नीचे दीक्षा का संकल्प आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने परंपरा का निर्वहन करते हुए पेड़ के नीचे दीक्षा देने का निर्णय लिया है, जैसा कि जैन तीर्थंकरों की परंपरा रही है।
🔹 🏡 घास-फूस की कुटिया में निवास संत ने आधुनिक साधनों को त्यागकर मिट्टी व घास से बनी कुटिया में ही निवास करना चुना है, जिससे प्रकृति से उनका गहरा जुड़ाव झलकता है।
🔸 🧘♀️ तीन शिष्यों को दीक्षा सूरत के देवेंद्र, उज्जैन की मीना और इंदौर की प्रेमलता दीक्षा लेकर सांसारिक जीवन को त्यागेंगे।
🔹 🌱 पर्यावरण संरक्षण का संदेश संत का कहना है कि पौधे लगाना ही नहीं, बल्कि उन्हें पेड़ बनने तक संभालना भी जरूरी है — यही सच्चा पर्यावरण धर्म है।
🔸 🌍 पेड़ कटाई और संकट की चेतावनी प्रज्ञा सागर महाराज ने कहा कि देश में पेड़ कटाई की गति तेज है, जबकि नए पौधों का रोपण पर्याप्त नहीं हो रहा है — यह भावी पीढ़ियों के लिए खतरा है।
🔹 🌳 एक करोड़ पौधे लगवाने का लक्ष्य संत ने 75 वर्ष की आयु तक एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया है, जिसमें अब तक वे सवा लाख पौधे लगवा चुके हैं।
🔸 📚 छात्रों के लिए आत्महत्या रोकने की पहल कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने छात्रों से फॉर्म भरवाने की सलाह दी, जिससे मानसिक तनाव से बचा जा सके।
🔹 ✍️ तीन पक्षों से फॉर्म भरवाने की अपील पेरेंट्स, कोचिंग संचालक और हॉस्टल प्रबंधन से छात्रों से सहमति फॉर्म भरवाने की मांग की, जिसमें वे मानसिक संतुलन और जीवन के मूल्य को स्वीकार करें।
🔸 🤝 कोचिंग संस्थानों को देना चाहिए प्रोत्साहन संत ने सुझाव दिया कि फॉर्म भरने वाले छात्रों को संस्थानों द्वारा फीस में छूट मिलनी चाहिए, जिससे सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा मिल सके।
🔹 🕊️ नैसर्गिक दीक्षा से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार इस प्रकृति आधारित दीक्षा समारोह से आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति चेतना भी समाज में फैलेगी।
यह पहला अवसर है जब कोटा में पेड़ की छांव में जैन दीक्षा कार्यक्रम होगा। आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज की इस पहल ने न केवल अध्यात्म को प्रकृति से जोड़ा है, बल्कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी चिंता — पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य — पर भी सार्थक संवाद स्थापित किया है।

Leave a Reply