
अहमदाबाद–जैन कनेक्ट संवाददाता | भारत की प्राचीन सभ्यता की गहराई और समावेशी सांस्कृतिक नीति को दर्शाते हुए, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा गुजरात विश्वविद्यालय में जैन पांडुलिपि विज्ञान (Jain Manuscriptology) के महत्व पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के “प्राचीन भारतीय ज्ञान की वैधता हेतु उन्नत शोध विभाग” के तत्वावधान में आयोजित की गई और प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) के अंतर्गत वित्तपोषित थी। इसमें देश भर से जैन साधु-साध्वियों, विद्वानों, शिक्षाविदों और सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया और जैन पांडुलिपियों में निहित बौद्धिक एवं आध्यात्मिक धरोहर को गहराई से समझने और संरक्षित करने का संकल्प लिया।
🔸 धार्मिक ग्रंथों के संरक्षण पर बल कार्यशाला का मूल उद्देश्य जैन पांडुलिपियों जैसे दुर्लभ ग्रंथों को संरक्षित करना और उनकी वैज्ञानिक विधियों से व्याख्या करना था।
📚 प्राचीन ज्ञान और आधुनिक शिक्षा का संगम यह आयोजन पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शोध और शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बना।
👳 सभी छह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए समान दृष्टिकोण PMJVK के अंतर्गत मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदायों के बौद्धिक विकास के लिए कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।
🕯️ पारसी भाषाओं के संरक्षण की दिशा में कदम मुंबई विश्वविद्यालय के साथ मिलकर अवेस्ता और पहलवी भाषाओं के संरक्षण हेतु पहल चल रही है, जो केंद्र की समावेशी नीति को दर्शाता है।
🎙️ मुख्य अतिथि का संदेश कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मंत्रालय के सचिव चंद्र शेखर कुमार ने परंपरागत ज्ञान के संरक्षण और प्रचार में केंद्र की प्रतिबद्धता दोहराई।
🗣️ भविष्य के लिए सांस्कृतिक नींव मजबूत करने का प्रयास उप सचिव श्री श्रवण कुमार ने कहा कि ऐसी पहलें हमारे अतीत को सम्मान देती हैं और भविष्य की सांस्कृतिक दृढ़ता सुनिश्चित करती हैं।
🏛️ गुजरात विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका विश्वविद्यालय पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु बनाने का कार्य कर रहा है, जिससे नई अकादमिक दिशाएं तय हो रही हैं।
📖 मानवता की विरासत को सहेजने की ज़रूरत कार्यशाला ने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान की प्राचीन परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।
💡 परंपरा और नवाचार का संतुलन सरकार की रणनीति पारंपरिक ज्ञान को आज की जरूरतों के अनुरूप बनाकर उसे जनसामान्य तक पहुंचाने की है।
🤝 समुदायों के बीच गर्व और प्रगति का भाव यह पहल विविध भारतीय समुदायों में सांस्कृतिक गर्व, संरक्षण और विकास की भावना को प्रोत्साहित करती है।
यह कार्यशाला न केवल भारत की प्राचीन बौद्धिक परंपराओं को समझने का एक माध्यम बनी, बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि सरकार अल्पसंख्यक समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर और गौरवान्वित बनाने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
Source : Press Information Bureau
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