नालछा में प्रथमाचार्य शांति सागर जी के स्तूप निर्माण हेतु भूमि पूजन

मांडू – जैन कनेक्ट संवाददाता | नालछा ब्लॉक स्थित दिगंबर जैन छोटा महावीरजी कागदीपुरा मंदिर में बुधवार को प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज के आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक भव्य धार्मिक आयोजन हुआ। इस अवसर पर स्तूप निर्माण हेतु भूमि पूजन, विधान पूजन, शांति धारा एवं धर्मसभा का आयोजन श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न संतों के आशीर्वचनों और समाजजनों की उपस्थिति से आयोजन गौरवमयी रहा।

🛕 शांति सागर स्तूप का भूमि पूजन पंचम पट्टाधीश आचार्य वर्धमान सागर जी के आशीर्वाद से प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी के स्तूप निर्माण हेतु भूमि पूजन संपन्न हुआ।

🕉️ विधान पूजन और शांति धारा कार्यक्रम की शुरुआत अभिषेक और शांति धारा से हुई, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से भाग लिया।

📿 धर्मसभा में जीवनमूल्य का संदेश विनय छाबड़ा ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए नागरिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को जीवन में अपनाने का आग्रह किया।

🧘 तीन सिद्धांतों का महत्व उन्होंने ‘बुरा मत सोचो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो’ जैसे तीन जीवनसूत्रों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।

🙏 पुण्यार्जकों का योगदान भूमि पूजन के पुण्यार्जक बसंत कुमार और संजय कुमार जैन (प्री पैक इलेक्ट्रिकल्स, इंदौर) रहे, जिन्होंने आयोजन को सहयोग प्रदान किया।

👨‍🔧 विभिन्न क्षेत्रों से समाजजनों की उपस्थिति इंजीनियर आशीष जैन, अजीत छाबड़ा, संजय छाबड़ा जैसे गणमान्यजनों की उपस्थिति आयोजन की गरिमा बढ़ा गई।

👩‍🦰 महिला मंडल की सक्रिय भागीदारी चेतना छाबड़ा, मनीषा जैन, कल्पना छाबड़ा, सपना जैन आदि महिलाओं ने आयोजन में विशेष सहयोग दिया।

🌸 माता की आहार चर्या का आयोजन महिला जैन मिलन अरिहंत एवं दिगंबर जैन महासमिति के सहयोग से माता जी की आहार चर्या की व्यवस्था की गई।

🌿 धार्मिक आयोजन में समरसता का भाव पूरे आयोजन में समाज के सभी वर्गों ने मिलकर श्रद्धा, समर्पण और सेवा का परिचय दिया।

📜 शताब्दी वर्ष को प्रेरणादायी स्वरूप आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष को स्तूप निर्माण के माध्यम से स्थायी स्मृति देने का प्रयास सराहनीय रहा।

इस आयोजन ने न केवल धार्मिक चेतना को जाग्रत किया, बल्कि समाज को नैतिक मूल्यों, सेवा और संस्कारों के प्रति पुनः जागरूक करने का कार्य भी किया। प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की स्मृति में बनने वाला यह स्तूप आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।

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