
नाहन–जैन कनेक्ट संवाददाता | अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर नाहन के जैन बाजार में जैन समाज द्वारा सेवा, श्रद्धा और धार्मिक परंपरा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया गया। बुधवार को आयोजित इस पुण्य आयोजन में गन्ने के रस का भंडारा लगाया गया, जिसमें राहगीरों और श्रद्धालुओं को शीतल प्रसाद वितरित किया गया। यह आयोजन जैन धर्म की दान परंपरा और भगवान आदिनाथ के प्रथम आहार प्रसंग की स्मृति में किया गया था।
🍹 गन्ने के रस का भंडारा जैन समाज ने नाहन के जैन बाजार में शुद्ध गन्ने के रस का भंडारा लगाया, जिससे राहगीरों को गर्मी में राहत मिली।
👨⚕️ मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमिताभ जैन ने आयोजन में भाग लेकर स्वयं रस वितरित कर सेवा कार्य में सहभागिता निभाई।
⏰ दोपहर डेढ़ बजे से आरंभ भंडारा दोपहर करीब डेढ़ बजे शुरू हुआ और शाम तक अनवरत चलता रहा।
🧊 3 क्विंटल गन्ने की व्यवस्था भंडारे के लिए लगभग 3 क्विंटल गन्ने का उपयोग किया गया, जिससे सैकड़ों लोगों को ठंडा प्रसाद मिला।
🙏 दान परंपरा की प्रेरणा यह आयोजन भगवान आदिनाथ के प्रथम आहार की स्मृति में किया गया, जो जैन धर्म में अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
📜 इक्षु तृतीया का महत्व जैन धर्म में अक्षय तृतीया को इक्षु तृतीया कहा जाता है, जब भगवान आदिनाथ ने गन्ने का रस ग्रहण कर प्रथम आहार प्राप्त किया।
🧑🤝🧑 समाज का सक्रिय सहयोग जैन समाज के अनेक सदस्यों ने आयोजन में भाग लिया और सेवा कार्य में उत्साहपूर्वक योगदान दिया।
🕊️ सेवा और पुण्य का संदेश इस आयोजन ने राहगीरों को न केवल राहत दी, बल्कि उन्हें जैन धर्म की सेवा भावना और दान परंपरा से भी अवगत कराया।
🕉️ हिंदू धर्म में भी पावन तिथि अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में भी अत्यंत शुभ मानी जाती है, जिसे भगवान परशुराम जयंती और युग परिवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
📅 अबूझ मुहूर्त का प्रतीक यह दिन ऐसा मुहूर्त माना जाता है जिसमें किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
इस पुण्य आयोजन ने न केवल तपते मौसम में राहगीरों को राहत प्रदान की, बल्कि जैन धर्म की ऐतिहासिक परंपरा, सेवा भावना और दान के महत्व को भी जनमानस तक पहुँचाया। अक्षय तृतीया जैसे पर्व समाज में सामूहिक सहभागिता और सद्भाव का संदेश देते हैं।
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