
टोंक – जैन कनेक्ट संवाददाता | राजस्थान के टोंक शहर में रविवार को दिगंबर जैन अमीरगंज नसियां में एक दुर्लभ और भावुक घटना घटी। क्षुल्लक से मुनि बने विशाल सागर जी महाराज (65) का मुनि दीक्षा के करीब डेढ़ घंटे बाद ही समाधि मरण हो गया। इस असाधारण घटना से जैन समाज में शोक की लहर फैल गई, वहीं आध्यात्मिक संतुलन और त्याग की भावना से हजारों श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
इस अवसर पर आचार्य वर्धमान सागर महाराज के सान्निध्य में चकडोल यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने गाजे-बाजे के साथ मुनिश्री को अंतिम विदाई दी।
🔸 आइए जानें इस दिव्य घटना से जुड़ी प्रमुख बातें:
📿 दीक्षा के डेढ़ घंटे बाद हुआ समाधि मरण दोपहर 1:35 बजे मुनि दीक्षा प्राप्त की और ठीक 3 बजे मुनि विशाल सागर जी ने समाधि मरण को प्राप्त किया।
🙏 आचार्य वर्धमान सागर ने दी मुनि दीक्षा आचार्य श्री ने मंत्रोच्चार, केसर और लोंग के माध्यम से विधिपूर्वक दीक्षा संस्कार संपन्न कराया।
🕉️ दिगंबर जैन अमीरगंज नसियां में हुआ आयोजन हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में अमीरगंज नसियां में दिव्य दीक्षा कार्यक्रम संपन्न हुआ।
🚩 चकडोल यात्रा में उमड़ा जनसैलाब समाधि के पश्चात गाजे-बाजे के साथ मुनिश्री की चकडोल यात्रा निकाली गई, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
🔥 संस्कार विधि से हुआ अंतिम संस्कार समाधि स्थल पर आचार्य श्री व पंडितों द्वारा संस्कार विधियों के साथ अंतिम क्रिया की गई।
👪 धार्मिक परिवेश से प्रेरित था पूरा परिवार मुनिश्री के माता-पिता और पत्नी ने पूर्व में ही दीक्षा ली थी; वर्तमान में पत्नी संघ में श्री विचक्षणमति माताजी हैं।
📖 2015 में मिली थी क्षुल्लक दीक्षा मुनि विशाल सागर जी ने 2015 में किशनगढ़ में क्षुल्लक दीक्षा ली थी और रविवार को मुनि पद ग्रहण किया।
🧘 आचार्य वर्धमान सागर की 117वीं दीक्षा 36 वर्षों के आचार्य काल में यह 117वीं दीक्षा थी, जो आध्यात्मिक इतिहास में विशेष बन गई।
🔮 पूर्वाभास था आचार्य श्री को धर्म प्रचारकों के अनुसार, आचार्य श्री को पूर्व से ही इस समाधि की अनुभूति थी, इसीलिए समय रहते मुनि दीक्षा दी गई।
👨👩👧👦 संघर्षों से तपस्या तक का सफर मुनि विशाल सागर जी गृहस्थ जीवन में पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री के साथ थे, जो अब गृहस्थ जीवन में हैं।
यह घटना जैन समाज ही नहीं, पूरे धार्मिक जगत के लिए अत्यंत प्रेरणादायी और विलक्षण रही। एक ओर जहां क्षणिक दीक्षा ने आत्मा को मुक्ति मार्ग पर अग्रसर किया, वहीं दूसरी ओर समाज को त्याग, संयम और वैराग्य की गहराई का एहसास हुआ।
Source : Dainik Bhaskar
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