बूंदी – जैन कनेक्ट संवाददाता | शहर की मधुबन कॉलोनी स्थित श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चल रही प्रवचन श्रृंखला में मुनि वैराग्य सागर महाराज ने आत्मज्ञान, भक्ति, दान और शिष्टाचार के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देव, शास्त्र और गुरु की भक्ति से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है और दान से श्रेष्ठ गोत्र प्राप्त होता है। वहीं, चंचल और रागी मन आत्मशांति नहीं पा सकता। प्रवचन के दौरान उन्होंने वर्षायोग, चतुर्दशी, दान के चार प्रकार और आत्मा की पहचान को लेकर गंभीर विचार रखे। कार्यक्रम में समाज के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
🔹 देव, शास्त्र और गुरु की भक्ति का महत्व मुनिश्री ने बताया कि देव, शास्त्र और गुरु की सच्ची भक्ति करने से न केवल सुंदर रूप की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में दिव्यता का संचार भी होता है।
🍀 दान से मिलता है श्रेष्ठ गोत्र दान करने से उच्च कुल व गोत्र की प्राप्ति होती है, जो आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
🔥 रागी व्यक्ति सदा रहता है क्लेश में जो व्यक्ति राग और मोह में फंसा होता है, वह जीवनभर क्लेश और अशांति में जीता है।
🌀 चंचल मन को नहीं मिलती आत्मशांति मुनिश्री ने कहा कि जब तक मन स्थिर नहीं होगा, आत्मा को शांति की प्राप्ति नहीं हो सकती।
🕯️ दान के चार प्रकार बताए मुनिश्री ने आहार दान, औषधि दान, ज्ञान दान और अभय दान को धर्म का आधार बताया।
🌿 श्रद्धा के बिना दान निष्फल उन्होंने कहा कि सत्पात्र को श्रद्धा से दिया गया दान ही मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।
💡 शिष्टाचार से ही होता है जीवन सफल बिना शिष्टाचार के व्यक्ति धर्म से रहित हो जाता है और उसका जीवन निरर्थक माना जाता है।
🪔 धर्मसभा का शुभारंभ मंगलाचरण से सभा की शुरुआत शकुंतला बड़जात्या के मंगलाचरण से हुई और दीप प्रज्वलन दुर्लभ जठ्यानीवाल व राजकुमार बड़जात्या द्वारा किया गया।
📘 स्वाध्याय और आरती से दिनभर रही धार्मिक छटा दोपहर को पद्मपुराण ग्रंथ का स्वाध्याय हुआ और सांयकाल गुरुभक्ति एवं आरती से वातावरण भक्ति-मय बन गया।
🧘 आत्मा की पहचान है आवश्यक: मुनि सुप्रभ सागर मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति को आत्मा की पहचान करनी चाहिए, न कि केवल शरीर को ही जीवन का केंद्र समझना चाहिए।
इस धर्मसभा में समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी और अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। प्रवचन और गुरुभक्ति के माध्यम से समाजबंधुओं को आत्मकल्याण और धर्म का गूढ़ संदेश प्राप्त हुआ।

Leave a Reply