महादेवी हथिनी के लिए राजू शेट्टी के नेतृत्व में न्याय की मूक पदयात्रा !

कोल्हापुर–जैन कनेक्ट संवाददाता | कोल्हापुर के जैन नांदणी मठ की प्रिय हाथिनी महादेवी को वापस लाने की मांग को लेकर स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में 45 किलोमीटर की मूक पदयात्रा शुरू हुई है। यह यात्रा सुबह 4 बजे नांदणी गांव से प्रारंभ हुई और कोल्हापुर जिला कलेक्टर कार्यालय तक जाएगी। हाथिनी के जबरन स्थानांतरण के खिलाफ यह जनभावनाओं से जुड़ा आंदोलन बन गया है।

🐘 महादेवी हाथिनी की वापसी की मांग नांदणी मठ से जबरन ले जाई गई महादेवी हाथिनी को पुनः मठ में लाने की मांग को लेकर पदयात्रा निकाली गई है।

🚶‍♂️ राजू शेट्टी के नेतृत्व में शांतिपूर्ण पदयात्रा स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी स्वयं इस पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, जो जनसंवेदना को दर्शाता है।

🌅 सुबह 4 बजे यात्रा का शुभारंभ पदयात्रा की शुरुआत तड़के नांदणी गांव से हुई, जो कि 45 किमी की दूरी तय कर कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचेगी।

⚖️ वनसारा प्राणीसंग्रहालय पर नियम उल्लंघन का आरोप आंदोलनकारियों का आरोप है कि सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी के नियमों का उल्लंघन कर बगैर अनुमति के यह प्राणीसंग्रहालय चलाया जा रहा है।

📄 सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज़ RTI के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों के आधार पर दावा किया गया कि हाथिनी को कोर्ट को गुमराह करके ले जाया गया।

😭 विदाई के समय हाथिनी की आंखों में आंसू महादेवी ने विदाई की शोभायात्रा के दौरान न तो पानी पिया और न ही कुछ खाया — वह रोती हुई चली गई, मठाधिपति भी भावुक हो उठे।

⚖️ “सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम नहीं” राजू शेट्टी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम सत्य नहीं होता, न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

📝 राष्ट्रपति के नाम दया याचिका तैयार हाथिनी की पीड़ा को राष्ट्रपति तक पहुंचाने के उद्देश्य से उनके नाम एक दया याचिका तैयार की गई है।

🚶 पैदल चलकर सौंपेंगे याचिका यह दया याचिका जिलाधिकारी कार्यालय तक पदयात्रा करते हुए सौंपने का निर्णय लिया गया है।

🌳 संवेदनशीलता, परंपरा और न्याय की लड़ाई यह पदयात्रा सिर्फ एक हाथिनी के लिए नहीं, बल्कि परंपरा, भावनाओं और जीव-जंतुओं के अधिकारों के संरक्षण की लड़ाई है।

महादेवी हाथिनी के लिए उठी यह आवाज़ केवल एक पशु के प्रति संवेदना नहीं, बल्कि समाज की उस चेतना का प्रतीक है जो न्याय, परंपरा और जीव-जंतुओं की भावनाओं के संरक्षण के लिए आगे बढ़ती है। यह मूक पदयात्रा व्यवस्था से सवाल करती है और संवेदनशील प्रशासन की उम्मीद जताती है।

Source : Abp Majha

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*