थांदला के मुमुक्षु ललित भाई भंसाली अक्षय तृतीया पर करेंगे जैन भगवती दीक्षा अंगीकार

थांदला–जैन कनेक्ट संवाददाता | धर्मभूमि थांदला एक बार फिर संयम और वैराग्य के पथ का गौरव बनने जा रही है। यहां के मुमुक्षु ललित भाई भंसाली ने संसार की क्षणभंगुरता को समझते हुए जैन भगवती दीक्षा लेने का निर्णय लिया है। यह ऐतिहासिक निर्णय बदनावर में विराजित गुरुभगवंतों की सन्निधि में लिया गया, जहां उनके परिवार ने भावपूर्ण वातावरण में दीक्षा का आज्ञा पत्र समर्पित किया। दीक्षा अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर 30 अप्रैल को थांदला में संपन्न होगी। इस निर्णय से समूचे जैन समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई है।

🔸 📜 संयम पथ पर ललित भाई भंसाली 50 वर्षीय मुमुक्षु ललित भाई वर्षों से धर्मदास जैन स्वाध्याय संघ से जुड़कर समाज सेवा व स्वाध्याय में रत हैं।

🔹 👪 परिवारजन का भावपूर्ण समर्थन माता तारा बहन भंसाली, धर्म सहायिका संध्या भंसाली, पुत्र प्रांजल व परिजनों ने दीक्षा के लिए सहर्ष आज्ञा दी।

🔸 📍 बदनावर में हुआ आज्ञा पत्र समर्पण 18 मार्च को बदनावर में गुरुदेवश्री उमेशमुनिजी के सान्निध्य में दीक्षा पत्र सौंपा गया।

🔹 📢 जयकारों से गूंज उठा वातावरण लोकाशाह मांगलिक भवन से निकली जयकार यात्रा में नगरवासी भारी उत्साह से शामिल हुए।

🔸 🗣️ मुमुक्षु ने व्यक्त की कृतज्ञता ललित भाई ने भावुक होकर स्वजनों के प्रति आभार प्रकट करते हुए संयम जीवन के संकल्प साझा किए।

🔹 🎤 भक्ति संगीत से महका माहौल भंसाली परिवार की बहन-बेटियों और बदनावर बहु मंडल ने स्तवन प्रस्तुत कर श्रद्धा भाव जगाया।

🔸 🕯️ दीक्षा की तिथि की घोषणा प्रवर्तकश्री जिनेन्द्रमुनिजी ने 30 अप्रैल अक्षय तृतीया को थांदला में दीक्षा संपन्न होने की घोषणा की।

🔹 🌍 देशभर से श्रावक-श्राविकाएं हुए उपस्थित झाबुआ, इंदौर, बड़नगर, नागदा, खिरकिया आदि नगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

🔸 🥗 अतिथि सत्कार व प्रभावना आतिथ्य श्रीपाल नाहर परिवार द्वारा एवं प्रभावना भंसाली परिवार थांदला और संघवी परिवार बदनावर द्वारा ली गई।

🔹 📝 संचालन व आयोजन सराहनीय संचालन मनीष बोकड़िया ने किया तथा थांदला श्रीसंघ व नवयुवक मंडल ने आयोजन को सफल बनाया।

इस अवसर ने न केवल एक आत्मा की आत्मशुद्धि की यात्रा को साक्षी बनाया, बल्कि समाज के लिए संयम और त्याग का एक उज्ज्वल आदर्श प्रस्तुत किया। मुमुक्षु ललित भाई भंसाली की दीक्षा से थांदला नगर का धार्मिक मान बढ़ा है और समूचा जैन समाज गौरव की अनुभूति कर रहा है।

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