संत जीवन की ओर पहला कदम : लब्धि महाराज का दीक्षा पाठ संपन्न

रोहतक-जैन कनेक्ट संवाददाता | जनकल्याण और समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर संयम और तप का मार्ग चुनने वाली सोनीपत के बिलबिलान गांव की बेटी लब्धि जैन का वीरवार को भव्य दीक्षा पाठ सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक क्षण में लब्धि जैन ने पंच महाव्रत ग्रहण कर पूर्ण रूप से जैन साध्वी बनने का संकल्प लिया। संत अभिषेक मुनि द्वारा उन्हें दीक्षा प्रदान की गई। दीक्षा समारोह में सैकड़ों श्रद्धालु और संतगण उपस्थित रहे।

🔹 पंच महाव्रत की दीक्षा लब्धि महाराज को अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे पंच महाव्रतों की दीक्षा दी गई, जो मोक्ष की ओर ले जाने वाले मार्ग के प्रमुख स्तंभ हैं।

🙏 भिक्षाटन की परंपरा निभाई दीक्षा से पूर्व लब्धि महाराज ने माता-पिता समेत सात घरों से भिक्षा ली। यह परंपरा त्याग और तपस्विता की पहली सीख मानी जाती है।

👨‍👩‍👧 माता-पिता ने दी संत को भिक्षा लब्धि महाराज की माता-पिता ने भावुक पल में उन्हें संत के रूप में भिक्षा दी और आत्मिक मार्ग में आशीर्वाद के साथ विदा किया।

🏛️ जैन स्थानक में हुई रस्में भिक्षाटन के बाद लब्धि महाराज जैन स्थानक पहुंचीं, जहां संतों की देखरेख में दीक्षा से जुड़ी अन्य धार्मिक रस्में पूरी की गईं।

📿 संन्यासी जीवन की शिक्षा लब्धि महाराज को संन्यास जीवन में ध्यान रखने योग्य नियमों और सतर्कताओं की गहन जानकारी दी गई, जैसे संयमित आहार और विनम्र आचरण।

🚶‍♀️ डोभ आश्रम के लिए प्रस्थान की तैयारी शुक्रवार सुबह सभी संत जैन स्थानक से डोभ आश्रम के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां लब्धि महाराज एक माह तक तपस्या करेंगी।

🧘‍♀️ तप का महीना डोभ आश्रम में लब्धि महाराज ध्यान, स्वाध्याय और नियमों का पालन करते हुए एक माह तक कठोर तप करेंगी।

📖 आहार संग्रहण का ज्ञान उन्हें आहार संग्रह की विधि और उसके सदुपयोग के बारे में विस्तार से बताया गया, ताकि संत जीवन में किसी प्रकार की चूक न हो।

🛕 संन्यास की दिनचर्या से परिचय एक माह के दौरान वे जैन मुनियों की दैनिक दिनचर्या और संन्यासी जीवन के अनुशासन में रच-बस जाएंगी।

🌍 धर्म प्रचार का लक्ष्य चातुर्मास के उपरांत लब्धि महाराज पूरे देश में भ्रमण कर जैन धर्म का प्रचार करेंगी और हरियाणा में लंबे समय के बाद ही लौटेंगी।

इस पावन दीक्षा महोत्सव में लब्धि महाराज का संकल्प एक प्रेरणा बनकर उभरा है। सांसारिक सुखों को त्याग कर आत्मिक शांति और मोक्ष की ओर उनका यह पहला कदम समाज को भी संयम, त्याग और सेवा का संदेश देता है।

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