दिगंबर जैन मंदिर दुर्गापुरा में जैन रामायण कथा का भव्य आयोजन

दुर्गापुरा–जैन कनेक्ट संवाददाता | दिगंबर जैन मंदिर दुर्गापुरा में चल रही संगीतमय जैन रामायण कथा महोत्सव में मंगलवार को मुनिश्री जय कीर्ति ने वनवास प्रसंग, मुनियों पर उपसर्ग, सीता की मुनिभक्ति और जटायु उद्धार की मार्मिक कथा सुनाई। कर्नाटक से आई संगीतकारों की टीम के सुरों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कथा का आरंभ राजा श्रैणिक बने प्रकाश चन्द एवं मनोरमा देवी चांदवाड द्वारा प्रश्नोत्तर शैली में हुआ, जिसमें मुनिश्री ने प्रेरणादायक समाधान के साथ अगली कथा सुनाई।

👇 प्रस्तुत हैं आयोजन की प्रमुख झलकियाँ:

🎶 कर्नाटक से आई संगीत मंडली जैन रामायण को संगीतमय रूप देने के लिए विशेष रूप से कर्नाटक से संगीतकारों की टीम बुलाई गई, जिनके मधुर स्वरों ने समां बाँध दिया।

📖 मुनिश्री ने सुनाया वनवास प्रसंग मुनिश्री जय कीर्ति ने वनवास में मुनियों पर हुए उपसर्ग, सीता की भक्ति और जटायु उद्धार जैसे मार्मिक प्रसंगों का प्रभावशाली वर्णन किया।

👑 राजा श्रैणिक का संवाद प्रारंभ प्रकाश चन्द व मनोरमा देवी चांदवाड ने राजा श्रैणिक का पात्र निभाते हुए मुनिश्री से प्रश्न पूछे, जिससे कथा की शुरुआत हुई।

🧘 कपिल ब्राह्मण का जीवन परिवर्तन मुनिराज से धर्मोपदेश सुनकर कपिल ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने अणुव्रत अंगीकार किए और दीक्षा का संकल्प लिया।

⚔️ राम-लक्ष्मण और अति वीर्य राजा का युद्ध कथा में राम और लक्ष्मण का अति वीर्य राजा से युद्ध वर्णित किया गया, जिसमें बाद में राजा को वैराग्य हो गया।

🛕 जिनमंदिर दर्शन से मिला वैराग्य युद्ध के बाद अति वीर्य राजा को जिनमंदिर के दर्शन हुए, जिससे उनमें आत्मबोध जाग्रत हुआ और वैराग्य उत्पन्न हुआ।

🖼️ भगवान चंद्रप्रभु के चित्र का अनावरण समाज श्रेष्ठी रतन संघी, सुधीर जैन, सम्यक जैन और प्रमिला गुप्ता ने भगवान चंद्रप्रभु के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया।

🎤 ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी द्वारा मंगलाचरण कार्यक्रम की शुरुआत में ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी ने सुंदर मंगलाचरण प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक रंगों से भर दिया।

🪔 मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का आयोजन समाजसेवी नरेन्द्र-मुन्नी देवी, अतुल-शशि सोगानी, नमन-श्रुतिका सोगानी और विनोद-दीपिका कोटखावदा ने श्रद्धापूर्वक मुनिश्री के पाद प्रक्षालन किए।

🙏 श्रद्धालुओं में गहरा प्रभाव संपूर्ण कथा और आयोजनों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया और जैन धर्म के मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।

संगीत, साधना और सत्संग से सजी यह जैन रामायण कथा महोत्सव न केवल धार्मिक चेतना का केंद्र बना, बल्कि श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर गया। मुनिश्री जय कीर्ति की अमृतवाणी और समाज की सहभागिता ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।

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