एक जैन मुंबईकर की जर्मनी में आत्मखोज की संघर्षगाथा

मुंबई–जैन कनेक्ट संवाददाता | मायानगरी मुंबई में पले-बढ़े निशित संघवी का सपना था जर्मनी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना। पारिवारिक सुझावों और अमेरिका जाने के दबाव के बावजूद उन्होंने अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहते हुए टैक्निशे यूनिवर्सिटेट चेमनिट्ज़ (TU Chemnitz) में मास्टर्स में दाखिला लिया। लेकिन यह यात्रा केवल शैक्षणिक नहीं थी—यह आत्म-अन्वेषण, संघर्ष और संस्कृतियों के बीच सामंजस्य बिठाने की यात्रा भी रही।

🌍जर्मनी जाने का सपना, मुंबई की जड़ों से दूसरे वर्ष से ही निशित ने ठान लिया था कि उन्हें जर्मनी में पढ़ना है, जो ऑटोमोबाइल और मशीनी तकनीक का वैश्विक केंद्र है।

🗣️भाषा बनी सबसे बड़ी चुनौती कोविड काल में जर्मन भाषा सीखना शुरू किया, लेकिन आज भी यह उनके धैर्य की परीक्षा लेती है।

🏠होमसिकनेस और भावनात्मक पल मुंबई की गलियों और वड़ा पाव की यादें, खासकर टी20 वर्ल्ड कप जीत के जश्न ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया।

🎉ICC में दीवाली पर धमाकेदार वापसी दीवाली 2024 में 650 लोगों के सामने पंजाबी डांस परफॉर्मेंस कर उन्होंने 10 साल बाद नृत्य में वापसी की।

🍲शुद्ध शाकाहारी जीवन के संघर्ष भारतीय और जर्मन वेजिटेरियन में अंतर ने उनके खानपान को चुनौतीपूर्ण बना दिया, शुरुआत में ग्रोसरी करना भी कठिन था।

🍛खुद बना रहे हैं भारत की याद दिलाने वाले व्यंजन पाव भाजी, सेवपुरी, भजीये, राजमा, मंचूरियन जैसे दर्जनों व्यंजन वो अब खुद बनाते हैं—पूरे दिल से।

🧼बर्तन मांजने का ‘कड़वा’ सच “जो पकाता है, वो बर्तन नहीं मांजेगा”—यह अनकहा नियम अब उनका खुद का जीवनमंत्र बन चुका है।

🏘️सस्ती रहन-सहन और होस्टल का सौभाग्य बड़े शहरों के मुकाबले चेमनिट्ज़ में सस्ते डॉर्म्स मिले, लेकिन बाकी छात्रों को शॉर्ट लीज़ के कारण संघर्ष करना पड़ा।

🧾पैसों का कड़ा प्रबंधन फिक्स्ड और वैरिएबल खर्चों को एक्सेल शीट में दर्ज कर हर खरीददारी का हिसाब रखते हैं, बड़े सौदे छुट्टियों में ही करते हैं।

💼जॉब के भ्रम और धैर्य का इम्तिहान हजारों रिजेक्शन, भाषा की बाधाएं और जॉब न मिलने का तनाव—पर वह खुद को एक सीखने वाला और अवलोकनकर्ता मानते हैं।

निशित संघवी की यह कहानी न केवल जैन जीवनशैली के सच्चे पालन की मिसाल है, बल्कि यह बताती है कि कैसे सीमित संसाधनों और सांस्कृतिक टकरावों के बीच भी कोई युवा आत्मबल से अपना रास्ता बना सकता है। जर्मनी में रहकर उन्होंने यह सीखा कि कठिनाइयों में भी सीख और संवेदना छिपी होती है।

( निशित संघवी जर्मनी के टेक्निशे यूनिवर्सिटेट चेमनिट्ज़, चेमनिट्ज़ से एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं। )

Source : Free Press Journal

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