
संभल–जैन कनेक्ट संवाददाता | अक्षय तृतीया के अवसर पर संभल जिले के ठेर सर्राफा बाजार में स्थित अटल बाल उद्यान पार्क में जैन समाज ने एक विशेष आयोजन किया। इस दौरान समाज के लोगों ने गन्ने का रस वितरित कर अपनी प्राचीन परंपरा को पुनः जीवित किया। इस दिन की धार्मिक महिमा को याद करते हुए लोगों ने सामूहिक रूप से गन्ने का रस पिया और दूसरों को भी इस रस का स्वाद चखाया।
🍹 गन्ने का रस वितरित करने की परंपरा जैन समाज ने अक्षय तृतीया पर गन्ने का रस वितरित किया, जो जैन धर्म में एक प्रमुख परंपरा मानी जाती है।
📜 ऋषभदेव को गन्ने का आहार मिलने का इतिहास नलीन जैन एडवोकेट ने बताया कि एक साल बाद भगवान ऋषभदेव को इस दिन गन्ने का रस प्राप्त हुआ था, जिसे जैन धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है।
👑 राजा सोम श्रेयांश द्वारा गन्ने का रस भिक्षा में दिया गया था यह परंपरा तब शुरू हुई थी जब राजा सोम श्रेयांश ने पहली बार भगवान को अक्षय तृतीया पर गन्ने का रस दिया था।
🌍 दुनियाभर में जैन समाज गन्ने का रस वितरित करता है
इस परंपरा को जैन समाज के लोग दुनियाभर में अक्षय तृतीया के अवसर पर जारी रखते हैं और गन्ने का रस वितरित करते हैं।
💬 महादान माना जाता है गन्ने का रस विहिप जिलाध्यक्ष अनंत अग्रवाल ने बताया कि गन्ने का रस जैन मुनियों द्वारा तृप्ति के रूप में लिया जाता है, इसलिए इसे महादान माना जाता है।
🤝 समाज के गणमान्य लोग आयोजन में शामिल हुए इस आयोजन में प्रियांशु जैन एडवोकेट, दिलीप कुमार गुप्ता, भाजपा सभासद चंचल सनी, अजय गुप्ता सर्राफ, कुलदीप ऐरन और विपिन अग्रवाल जैसे कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
🏞️ गन्ने के रस के स्टॉल लगाए गए समाज के लोगों ने स्टॉल लगाकर गन्ने का रस वितरित किया, जिससे आसपास के लोग भी लाभान्वित हुए।
✨ धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत आयोजन कार्यक्रम में सभी श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से भाग लिया और जैन धर्म की परंपराओं का पालन किया।
🧘♂️ सामूहिक उत्सव और पुण्य कार्य कार्यक्रम में सामूहिक उत्सव का आयोजन किया गया, जिससे समाज में सामूहिक भावना और एकता को बढ़ावा मिला।
🙏 आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आयोजन अक्षय तृतीया का यह आयोजन जैन समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण था।
इस आयोजन ने जैन समाज की प्राचीन परंपराओं को जीवित रखा और समाज के हर वर्ग के लोगों को धार्मिक कार्यों में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। गन्ने का रस वितरण के साथ ही समाज में धार्मिक एकता और परंपराओं के प्रति श्रद्धा का भाव और अधिक प्रगाढ़ हुआ।
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