जैन संतों की सुरक्षा व तीर्थ स्थलों की रक्षा के लिए अजमेर में आक्रोश महारैली

अजमेर – जैन कनेक्ट संवाददाता | जैन संतों पर बढ़ते हमलों और तीर्थ स्थलों पर हो रही आपराधिक घटनाओं के विरोध में अजमेर में आज सकल जैन समाज द्वारा एक विशाल आक्रोश महारैली निकाली गई। रैली के माध्यम से समाज ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में साधु-संतों के विहार के दौरान सुरक्षा और जैन तीर्थ स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग प्रमुख रूप से की गई।

👇 रैली की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं :

📢 आक्रोश रैली के माध्यम से सरकार को चेतावनी संतों की सुरक्षा और तीर्थ स्थलों की रक्षा हेतु जैन समाज ने रैली निकालकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

🙏 संतों की दुर्घटनाओं पर गहरा दुख ज्ञापन में कहा गया कि हालिया दुर्घटनाओं में कई संतों की मृत्यु हुई, जिससे समाज में गहरा रोष व्याप्त है।

🚨 सुरक्षा व्यवस्था की मांग जैन तीर्थ स्थलों पर हो रही चोरियों और अपराधों को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा बल तैनात करने की अपील की गई।

👮 विहार के समय पुलिस सुरक्षा अनिवार्य संतों के विहार के दौरान मार्ग पर पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई गई।

🚗 दुर्घटनाग्रस्त ड्राइवरों पर सख्त कार्रवाई साधुओं को टक्कर मारकर भागने वाले ड्राइवरों पर धारा 106 (बीएनएस) के तहत केस दर्ज करने की मांग रखी गई।

🚧 फुटपाथ व सड़क सुरक्षा ढांचे की मांग राजमार्गों और तीर्थ मार्गों पर कम से कम 3 फीट चौड़ा और 1 फीट ऊँचा फुटपाथ बनाए जाने की जरूरत जताई गई।

🛡️ राष्ट्रीय पदयात्री सुरक्षा मिशन की अपील पदयात्रियों और तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा हेतु विशेष मिशन प्रारंभ करने का सुझाव दिया गया।

🧘 संतों की गरिमा की रक्षा का आह्वान यह अभियान केवल संतों के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक की सुरक्षा व गरिमा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया गया।

📜 सामूहिक मांगों को दिया स्वर समाज ने मिलकर सरकार से जैन धर्म के मूल्यों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।

🤝 प्रशासन से शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा सकल जैन समाज ने चेताया कि यदि सरकार गंभीरता नहीं दिखाती, तो बड़ा जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।

यह रैली न केवल जैन समाज की एकजुटता का प्रतीक बनी, बल्कि यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि धर्म, आस्था और जीवन की रक्षा के लिए समाज किसी भी स्तर तक संघर्ष करने को तैयार है। अब देखना होगा कि सरकार इन न्यायोचित मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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