मेहसाणा–जैन कनेक्ट संवाददाता | जैनाचार्य अरविंद सागर सुरिश्वरजी महाराज साहेब ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। उन्होंने आने वाले 100 वर्षों के लिए विस्तृत और शास्त्रीय पंचांग तैयार किया है, जो ज्योतिषीय घटनाओं और ग्रह चालों की सटीक जानकारी देगा। यह पंचांग कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में पुडुचेरी में आरंभ किया गया था और पांच वर्षों की कठोर साधना के बाद अब पूर्ण हुआ है। मंगलवार को मेहसाणा स्थित सिमंधर स्वामी तीर्थ में आचार्य पद्मसागर सुरिश्वरजी महाराज की उपस्थिति में ‘श्री सिमंधर स्वामी प्रत्यक्ष पंचांग न शतवर्षीय शात्रार्थ’ के चार खंडों का भव्य लोकार्पण हुआ।
📜 शतवर्षीय पंचांग का निर्माण 100 वर्षों के लिए तैयार किया गया यह पंचांग तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की विस्तृत जानकारी देगा।
🧘♂️ कोरोना काल में आरंभ 2020 में पुडुचेरी में आचार्यश्री ने इस पंचांग पर काम शुरू किया, जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा था।
📚 गहन अध्ययन और शोध ज्योतिष ग्रंथों जैसे ‘ग्रह लाघव’, ‘केतकी गणित’ और ‘सूर्य सिद्धांत’ का गंभीर अध्ययन पंचांग की नींव बना।
👣 प्रति दिन 3 किमी पैदल आचार्यश्री प्रतिदिन 3 किलोमीटर पैदल चलकर ज्योतिषाचार्य डॉ. हिमतराम जानी से शिक्षा ग्रहण करते थे।
💻 तकनीकी कौशल का समावेश उन्होंने 1988 में BASIC और बाद में FoxPro तथा जर्मन C भाषा में पंचांग गणना के सॉफ्टवेयर भी बनाए।
🕰️ समय निर्धारण की भूमिका इस पंचांग की सहायता से शुभ मुहूर्त, ग्रहण, वक्री चाल जैसी घटनाओं का पूर्व अनुमान संभव होगा।
🔭 ज्योतिषियों के लिए अमूल्य साधन यह पंचांग न केवल भविष्यवाणी में बल्कि आर्थिक एवं मौसमीय पूर्वानुमानों में भी सहयोगी रहेगा।
🎓 अनुसंधान के लिए उपयोगी शोधकर्ताओं और ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए यह पंचांग एक महत्वपूर्ण संदर्भ स्रोत बनेगा।
🏛️ धार्मिक कार्यों में सहयोग मंदिर निर्माण, प्रतिष्ठा महोत्सव, विवाह आदि में यह पंचांग सटीक समय निर्धारण में सहायक होगा।
🌌 सौरमंडल की जानकारी गुरु के वक्री होने की अवधि जैसी घटनाएं स्पष्ट रूप से दर्शाई जाएंगी, जिससे ज्योतिषीय विश्लेषण सरल होगा।
यह पंचांग सिर्फ गणनाओं का दस्तावेज नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक समर्पण का प्रतीक है। आचार्य अरविंद सागरजी की यह रचना भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी ज्योतिषीय निधि के रूप में कार्य करेगी।

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