
जगदलपुर–जैन कनेक्ट संवाददाता | अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर जगदलपुर में दिगंबर जैन समाज द्वारा अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ जैन मुनियों का पगहरन किया गया। गुरूनानक चौक से पुराने बस स्टैंड तक समाज के लोग सड़क किनारे कतारबद्ध होकर खड़े थे और उन्होंने चार जैन मुनियों—आगम सागर, पुनीत सागर, धैर्य सागर और स्वागत सागर महाराज—का भावपूर्ण स्वागत किया। मुनियों की चरणधूलि को प्रणाम कर उन्हें सम्मानपूर्वक अपने घरों तक ले जाना जैन समाज की पवित्र परंपरा है, जिसे ‘पगहरन’ कहा जाता है।
📿 पगहरन की परंपरा निभाई गई जैन समाज ने चार मुनियों का चरण स्पर्श कर उन्हें आदरपूर्वक अपने निवास तक आमंत्रित किया।
🧘 गुरु परंपरा को मिला सम्मान जैन मुनियों को गुरु स्वरूप मानकर समाजजन ने उन्हें ससम्मान भोजन और विश्राम हेतु अपने घरों में स्थान दिया।
🚶 सड़क किनारे जुटी श्रद्धालु कतार गुरूनानक चौक से पुराने बस स्टैंड तक सैकड़ों जैन श्रद्धालु मुनियों का स्वागत करने के लिए पंक्तिबद्ध खड़े रहे।
🍹 गन्ने के रस से किया स्वागत भगवान ऋषभदेव की परंपरा का अनुसरण करते हुए समाज के लोगों ने मुनियों को गन्ने का रस अर्पित किया।
🪷 चार मुनियों का पगहरन पगहरन में आगम सागर, पुनीत सागर, धैर्य सागर और स्वागत सागर महाराज का स्वागत विशेष श्रद्धा से किया गया।
🏠 विशेष सत्कार की व्यवस्था मुनियों के विश्राम और आहार हेतु जैन समाज के घरों में विशेष स्थानों की व्यवस्था की गई।
🙏 धर्म और सेवा का संगम पगहरन केवल सम्मान का माध्यम नहीं, बल्कि जैन धर्म की सेवा और समर्पण भावना का प्रतीक भी है।
📖 आचार्यों की शिक्षाओं का पालन समाजजन मुनियों के उपदेशों और शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प दोहराते हैं।
🌿 अहिंसा और त्याग की प्रेरणा यह आयोजन जैन धर्म के मूल तत्वों—अहिंसा, संयम और त्याग—का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
📸 भक्ति और श्रद्धा के अद्भुत दृश्य जगदलपुर की सड़कों पर पगहरन के दृश्य भक्ति, आस्था और भावनाओं से परिपूर्ण नजर आए।
यह आयोजन दिगंबर जैन समाज की उस सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना का प्रतीक है, जो मुनियों के प्रति गहन श्रद्धा और सम्मान से जुड़ी है। पगहरन न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह गुरु-भक्ति और संयमित जीवन की प्रेरणा का एक माध्यम भी है।
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