पाली- जैन कनेक्ट संवाददाता | अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में भारतीय स्थापत्य कला की प्रेरणा से निर्मित एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। पाली (राजस्थान) स्थित ऐतिहासिक नवलखा पार्श्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहे इस मंदिर का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक आराधना का केंद्र बनाना है, बल्कि वहां बसे 1500 जैन परिवारों को एकजुट कर समर्पण, संस्कृति और संस्कारों का संगम बनाना है।
इस भव्य परियोजना की कुल लागत लगभग ₹160 करोड़ आंकी गई है और इसका निर्माण कार्य आगामी तीन वर्षों में पूर्ण होने की उम्मीद है।
📐 नवलखा मंदिर से प्रेरित डिज़ाइन ह्यूस्टन में बन रहा यह मंदिर पाली के प्रसिद्ध नवलखा पार्श्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति के रूप में तैयार किया जा रहा है।
📏 विशाल परिसर का निर्माण सात एकड़ भूमि में फैले इस मंदिर परिसर में 20,000 वर्ग फुट में मुख्य मंदिर और 35,000 वर्ग फुट में उपासरा, पाठशाला, रसोई और हॉल बनाए जाएंगे।
💰 ₹160 करोड़ की अनुमानित लागत इस परियोजना पर लगभग 160 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें निर्माण से लेकर मूर्तियों की प्रतिष्ठा तक की लागत शामिल है।
🪨 भारत में तैयार हो रही मूर्तियां मंदिर में प्रतिष्ठित की जाने वाली प्रतिमाओं को भारत के सोमपुरा शिल्पकारों द्वारा तैयार किया जा रहा है।
🙏 तीर्थंकरों की प्रतिष्ठा मुख्य मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी और ऋषभदेव की मूर्तियां प्रतिष्ठित होंगी, साथ ही परिसर में सभी 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी रहेंगी।
🧑🤝🧑 1500 जैन परिवारों को लाभ ह्यूस्टन में रह रहे करीब 1500 जैन परिवार इस मंदिर के माध्यम से एक ही छत के नीचे पूजा और धर्म आराधना कर सकेंगे।
🚧 निर्माण का पहला चरण शुरू वर्तमान में ड्राइववे और भूमिगत पाइपलाइन का काम जारी है, अक्टूबर से भवन निर्माण का पहला चरण — उपासरा — शुरू होगा।
🏗️ दूसरे चरण में बनेगा मुख्य मंदिर दूसरे चरण में मंदिर और अन्य संरचनाओं का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाएगा, जिससे पूरा परिसर आकार लेगा।
📚 पाठशाला में शिक्षा की व्यवस्था इस परिसर में एक आधुनिक पाठशाला भी बनेगी, जिसमें लगभग 350 बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा दी जाएगी।
⏳ तीन वर्षों में होगा पूर्ण यह भव्य प्रकल्प अगले तीन वर्षों में पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा, जो अमेरिका में जैन संस्कृति का प्रमुख केंद्र बनेगा।
यह जैन मंदिर न केवल भारतीय स्थापत्य और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक बनेगा, बल्कि विदेशों में रहने वाले जैन समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित होगा। यह निर्माण भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ाव की मिसाल है जो नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।

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