अहमदाबाद – जैन कनेक्ट संवाददाता | तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन द्वारा आयोजित गुरु अभ्यर्थना यात्रा का अहम पड़ाव अहमदाबाद में संपन्न हुआ, जहाँ मुंबई से पहुँचे श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य महाश्रमण के दर्शन और सेवा-उपासना का लाभ लिया। इस अवसर पर तेरापंथ धर्मसंघ की समर्पित साधना और संगठन की भावना की झलक देखने को मिली। आचार्यश्री ने मुंबई के तेरापंथ भवन, कांदिवली की महत्ता को रेखांकित करते हुए श्रद्धालुओं को पावन संदेश प्रदान किया।
🔷 यात्रा की प्रमुख झलकियां इस प्रकार रहीं:
🛕 गुरु अभ्यर्थना यात्रा का अहम पड़ाव मुंबई से रवाना हुई यात्रा अहमदाबाद में आचार्य महाश्रमण के सम्मुख पहुँची, जहाँ श्रद्धालुओं ने सेवा, उपासना व दर्शन का लाभ लिया।
🪷 आचार्यश्री का मुंबई तेरापंथ भवन से जुड़ाव आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कांदिवली स्थित तेरापंथ भवन उनका दो बार आगमन स्थल बना है, यह भवन मुंबई का एक प्रमुख आध्यात्मिक केन्द्र है।
🧘 चातुर्मास की गरिमामयी साधना वर्तमान में मुनि कुलदीपकुमार एवं मुनि मुकुलकुमार का चातुर्मास कांदिवली भवन में चल रहा है, जिससे साधना का माहौल बना हुआ है।
🙏 फाउंडेशन अध्यक्ष का आभार प्रदर्शन मेघराज धाकड़ ने कांदिवली भवन में चातुर्मास के आयोजन हेतु कृतज्ञता प्रकट की और गुरु चरणों में विनम्रता से भाव अर्पित किए।
📜 मंत्री ने दी कार्यक्रमों की जानकारी प्यारचंद मेहता ने विगत आयोजनों और गतिविधियों का ब्यौरा साझा करते हुए संस्था की सक्रियता का परिचय दिया।
🗣️ यात्रा संयोजक का विवरण प्रस्तुतीकरण विनोद बोहरा ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री सहित साध्वी प्रमुखा, मुख्यमुनि और अन्य संतों की सेवा-उपासना का सौभाग्य पाया।
🧾 मुंबई सभा की गतिविधियाँ रेखांकित सभाध्यक्ष माणक धींग ने मुंबई तेरापंथ सभा की निरंतर गतिविधियाँ और सेवा कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
🧑💼 प्रमुख पदाधिकारियों का सहभाग दिनेश सुतरिया, विनोद कच्छारा, नरेंद्र तातेड़ व नवरतन गन्ना ने अपने विचार रखे व संस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
🏛️ फाउंडेशन की समर्पित कार्यशैली रमेशकुमार धाकड़, भीकमचंद नाहटा, सुरेन्द्र कोठारी सहित अन्य सदस्यों ने फाउंडेशन की योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी दी।
🎤 उल्लेखनीय उपस्थिति और संचालन पूर्व मंत्री बाबूलाल बापना ने संचालन करते हुए प्रस्तावना रखी। बी. सी. जैन, शांतिलाल कोठारी, पवन ओस्तवाल आदि गणमान्य भी उपस्थित रहे।
इस धर्मयात्रा ने श्रद्धालुओं में नई ऊर्जा और साधना के प्रति समर्पण का संचार किया। गुरु चरणों में हुए समर्पण ने समाज के संगठन, अनुशासन और आध्यात्मिक चेतना को और भी मजबूत किया।
Source : Pratahkal

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