दुर्ग – जैन कनेक्ट संवाददाता | जोधपुर, राजस्थान में जन्मा 13 वर्षीय बालक रूहान मेहता, जिसे सब स्नेह से डुग्गू कहकर पुकारते हैं, अब सांसारिक जीवन का त्याग कर संयम के मार्ग पर अग्रसर होने जा रहा है। खेल-कूद, स्कूल और बाल्य जीवन की चहल-पहल को पीछे छोड़, डुग्गू ने जैन धर्म के गूढ़ तत्वों को आत्मसात कर वैराग्य को अपनाने का संकल्प लिया है।
दुर्ग में 30 मई को आयोजित भव्य दीक्षा समारोह में डुग्गू दीक्षा ग्रहण कर संयम का जीवन आरंभ करेगा। आयोजन श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में सत्वनाद संयमोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस आयोजन में विनय कुशल मुनि जी डुग्गू को दीक्षा प्रदान करेंगे।
🔹 प्रस्तुत हैं इस अनुपम आयोजन से जुड़े प्रमुख तथ्य:
👶 13 साल की उम्र में लिया सन्यास का निर्णय डुग्गू ने बाल्यकाल की रंगीनियों को त्याग कर आध्यात्मिक जीवन की राह चुनी है। यह निर्णय उसकी दृढ़ साधना भावना को दर्शाता है।
📚 स्कूल कभी नहीं गए डुग्गू डुग्गू ने न तो नर्सरी की शिक्षा ली, न ही केजी या प्राइमरी की। वे बचपन से ही धर्म और साधना में लीन रहे।
🕉️ 22 आगम ग्रंथ कंठस्थ जैन धर्म के 45 आगमों में से 22 आगम ग्रंथ डुग्गू ने कंठस्थ कर लिए हैं — यह उनकी साधना शक्ति और स्मरण क्षमता का प्रमाण है।
📖 2000 सूत्रों के ज्ञाता चार कर्म ग्रंथों के लगभग 2000 सूत्र डुग्गू को याद हैं। इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि अत्यंत अद्भुत है।
🎵 स्तवन और प्रतिक्रमण में पारंगत संस्कृत के स्तवन, भजन और प्रतिक्रमण विधि डुग्गू को आत्मसात है। उनका संगीतमय अभ्यास सभी को भावविभोर करता है।
🧘♂️ दीक्षा देंगे विनय कुशल मुनि जी डुग्गू को संयम पथ पर दीक्षित करने का सौभाग्य विनय कुशल मुनि जी को प्राप्त होगा, जो उन्हें जीवन के नये अध्याय की ओर अग्रसर करेंगे।
🚩 29 मई को वर्षीदान वरघोड़ा और मेंहदी संध्या दीक्षा से एक दिन पहले शोभायात्रा, प्रवचन, मेंहदी संध्या और अंतिम वायणा का आयोजन होगा। सभी कार्यक्रम ऋषभदेव परिसर में होंगे।
🥣 30 मई को लापसी लूट और महाभिनिष्क्रमण यात्रा दीक्षा दिवस पर प्रातः लापसी लूट और महाभिनिष्क्रमण यात्रा के साथ सत्वनाद संयमोत्सव की शुरुआत होगी।
🕯️ सत्वनाद संयमोत्सव का आयोजन श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह महोत्सव एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण के रूप में दर्ज होगा।
💬 समिति का उद्देश्य — संयम संस्कारों का विस्तार कार्यक्रम संयोजक कांति लाल बोथरा ने बताया कि यह आयोजन नई पीढ़ी को संयम, वैराग्य और धर्म की ओर प्रेरित करेगा।
डुग्गू का यह निर्णय केवल उनके जीवन का मोड़ नहीं, बल्कि आज के युग में आध्यात्मिक चेतना की मिसाल बनकर उभरा है। धर्म के प्रति इतनी निष्ठा, त्याग और साधना आज के बच्चों को प्रेरणा दे सकती है कि जीवन का सच्चा मार्ग भीतर की यात्रा है।

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