
कोलकाता–जैन कनेक्ट संवाददाता | साड़ी को केवल पारंपरिक पहनावे के रूप में देखने वाले शायद यह न सोच पाए हों कि इसे एक वैश्विक कला रूप में भी ढाला जा सकता है। लेकिन फैशन की दुनिया में डॉली जैन ने यह कर दिखाया है। ‘फेमिना अचीवर्स ईस्ट’ कार्यक्रम में डॉली जैन को ‘एक्सीलेंस इन फैशन’ सम्मान से नवाजा गया, जो उनके लंबे संघर्ष, रचनात्मकता और समर्पण का प्रतीक है।
🌟 साड़ी से नफरत से लेकर प्रेम तक का सफर शुरुआत में डॉली को रोज़ साड़ी पहनना बोझिल लगता था, लेकिन धीरे-धीरे यही चीज़ उनकी पहचान बन गई।
🏙️ रांची में जन्म, बेंगलुरु में पालन-पोषण डॉली का जन्म रांची में हुआ और उनका बचपन बेंगलुरु में बीता। विवाह के बाद वह कोलकाता आ गईं।
👗 साड़ी पहनने की मजबूरी बनी जुनून मारवाड़ी परिवार में शादी के बाद रोज़ साड़ी पहननी पड़ती थी, जिससे तंग आकर उन्होंने इसे कला में बदल दिया।
🎬 श्रीदेवी की सलाह ने बदली ज़िंदगी प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीदेवी ने उन्हें इसे पेशे के रूप में अपनाने की सलाह दी, जो उनके लिए मील का पत्थर साबित हुई।
📸 इंस्टाग्राम बना मंच, कला बनी पहचान सोशल मीडिया पर उनके अनोखे साड़ी ड्रेपिंग स्टाइल ने लाखों लोगों का ध्यान खींचा।
🧵 325 ड्रेपिंग स्टाइल्स का रिकॉर्ड डॉली ने 80 से शुरू कर 325 अलग-अलग ड्रेपिंग स्टाइल्स का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया।
👗 शीर्ष डिज़ाइनर्स से जुड़ाव सबायसाची, मनीष मल्होत्रा और अबू जानी-संदीप खोसला जैसे डिज़ाइनर्स ने उनके हुनर को सराहा और उन्हें बड़े मंचों तक पहुंचाया।
💍 अंबानी परिवार सहित कई सेलिब्रिटीज़ की पसंद उनकी कला को कई हाई-प्रोफाइल शादियों और फैशन इवेंट्स में सराहा गया।
📚 कॉफी टेबल बुक और यूट्यूब सीरीज़ की योजना डॉली अब 300 ड्रेपिंग स्टाइल्स पर आधारित यूट्यूब सीरीज़ और एक कॉफी टेबल बुक की तैयारी में हैं।
💬 साड़ी को आधुनिकता से जोड़ने का दृष्टिकोण डॉली का मानना है कि साड़ी सिर्फ परिधान नहीं, एक अभिव्यक्ति है — और इसे आधुनिक फैशन से जोड़कर हर दिन को खास बनाया जा सकता है।
डॉली जैन की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि लगन और नवाचार के साथ कोई भी पारंपरिक चीज़ वैश्विक पहचान पा सकती है। उन्होंने न केवल साड़ी पहनने की धारणा को बदला है, बल्कि उसे आत्मविश्वास और रचनात्मकता का प्रतीक बना दिया है।
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