
मांडू – जैन कनेक्ट संवाददाता | रविवार का दिन मांडू के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति से परिपूर्ण रहा, जब दिगंबर जैन परंपरा के संतों का नगर में भव्य स्वागत हुआ। दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में समाज के गणमान्य व्यक्तियों और श्रद्धालुओं ने मुनियों का पादप्रक्षालन कर धर्मलाभ प्राप्त किया। आचार्य विशद सागर जी महा-मुनिराज के आत्मज्ञान संबंधी प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा दी। मुनियों को नवधा भक्ति सहित आहार अर्पण कर भक्तों ने पुण्य अर्जित किया।
🔸 🙏 मुनि संघ का मांडू में भव्य प्रवेश मांडू में दिगंबर जैन मुनियों का आगमन होते ही श्रद्धालुओं ने भावपूर्वक पादप्रक्षालन कर स्वागत किया।
🔸 🏛️ जैन मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब दिगंबर जैन मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर मुनिश्री के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किए।
🔸 🪔 धर्मसभा में आत्मा की अमरता पर प्रवचन आचार्य विशद सागर जी ने आत्मा को अविनाशी तत्व बताते हुए परमात्मा की परिभाषा दी – अज्ञानता से मुक्त आत्मा ही परमात्मा है।
🔸 💡 पुण्य को बताया जीवन की सच्ची पूंजी मुनिश्री ने कहा, “धन और यश तो मिल सकते हैं, परंतु पुण्य कमाना पड़ता है – यही जीवन की सबसे अमूल्य पूंजी है।”
🔸 🍽️ नवधा भक्ति के साथ आहार दान श्रद्धालुओं ने नियमपूर्वक नवधा भक्ति करते हुए मुनियों को आहार अर्पित किया, जिसे जैन परंपरा में अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
🔸 🧘♂️ श्रावकों को संयम से आहार देने की सीख मुनि विशाल सागर जी ने श्रावकों को मन, वचन और काय की शुद्धि के साथ आहार अर्पण करने का आग्रह किया।
🔸 🌅 मुनियों का संयमपूर्ण आहार चर्या मुनियों ने बताया कि वे दिन में केवल एक बार शरीर को चलाने के लिए सीमित आहार और जल ग्रहण करते हैं।
🔸 🕉️ धर्म का वास्तविक स्वरूप बताया आचार्य श्री ने धर्म को आत्मशुद्धि और विवेक जागरण का मार्ग बताया, जो व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है।
🔸 🤝 जैन समाज की एकजुटता दिखी विनय छाबड़ा, सुरेश गंगवाल, मुकेश, दिलीप और नितिन गंगवाल सहित कई श्रद्धालु आयोजन में सेवा भाव से शामिल रहे।
🔸 🧑🦳 सम्पूर्ण संत मंडल की गरिमामयी उपस्थिति आचार्य विशद सागर जी सहित 12 मुनि, 2 आर्यिका व 2 क्षुल्लिका माताजी की उपस्थिति से मांडू का धार्मिक वातावरण पवित्र हो गया।
दिगंबर जैन मुनियों के मांडू आगमन ने शहर में धर्म, शांति और संयम का संदेश फैलाया। श्रद्धालुओं ने समर्पण और श्रद्धा से मुनियों की सेवा कर आत्मिक आनंद प्राप्त किया। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक उन्नयन का माध्यम बना, बल्कि जैन परंपरा की जीवंतता को भी दर्शाया।
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