धर्मनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव में उमड़ा श्रद्धा का सागर

झुमरीतिलैया–जैन कनेक्ट संवाददाता | झुमरीतिलैया के श्री दिगंबर जैन समाज द्वारा तीर्थंकर देवाधिदेव 1008 श्री धर्मनाथ भगवान के मोक्ष निर्वाण कल्याणक महोत्सव का भव्य आयोजन श्रद्धा और भक्तिभाव से संपन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला के साथ जैन श्रद्धालुओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। पूरे आयोजन में धर्म-भक्ति, संगीत और शांति की भावनाएं मुखर रहीं।

📿 पांडुक शिला पर विराजित प्रतिमा प्रातः काल भगवान श्री धर्मनाथ की प्रतिमा को पांडुक शिला पर श्रद्धापूर्वक विराजमान किया गया, जिससे आयोजन का शुभारंभ हुआ।

🛁 प्रथम अभिषेक का सौभाग्य भगवान के प्रथम अभिषेक का सौभाग्य अशोक व बिनोद जैन अजमेरा को प्राप्त हुआ, जिन्होंने पूरे भक्तिभाव से यह सेवा निभाई।

💧 शांतिधारा में श्रद्धा की अभिव्यक्ति शांतिधारा का पुण्य कार्य सुरेंद्र जैन काला, प्रभात जैन व विजय-विकाश जैन सेठी परिवार द्वारा संपन्न किया गया।

🍬 निर्वाण लाडू अर्पण धर्मनाथ भगवान के चरणों में निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य मंजू, जुली लुहाड़िया, अशोक, बिनोद, अर्हम, कथान्स अजमेरा परिवार को मिला।

🎶 संगीतमय पूजा अर्चना सुबोध जैन गंगवाल द्वारा प्रस्तुत संगीतमय पूजा ने श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति का अनुभव कराया।

🪷 संत प्रवचनों से मिला आध्यात्मिक ज्ञान आचार्य श्री भद्रबाहु महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि निर्वाण दिवस पर पूजा-अर्चना से अनंतगुणा पुण्य की प्राप्ति होती है।

👨‍👩‍👧‍👦 समाज के गणमान्यजन रहे उपस्थित जय कुमार गंगवाल, सुनील, मुकेश जैन अजमेरा, अजय जैन सेठी, संजय जैन गंगवाल जैसे समाज के प्रमुख लोग आयोजन में उपस्थित रहे।

👩 महिला संगठन की सक्रिय भागीदारी मोना जैन छाबड़ा, रिंकू जैन गंगवाल, ममता, पिंकी, अलका व बबिता जैन ने महिला मंडल की ओर से श्रद्धा से भाग लिया।

🕊️ शांति और भक्ति का मिला संदेश संपूर्ण आयोजन ने धर्म, करुणा और आत्मकल्याण का संदेश देते हुए समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।

🙏 पुण्य और भक्ति का अनुपम संगम धार्मिक उत्सव में समाज के सभी वर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपने आराध्य के चरणों में समर्पण व्यक्त किया।

धर्मनाथ भगवान के मोक्ष निर्वाण कल्याणक महोत्सव ने झुमरीतिलैया में जैन समाज को एकजुट कर भक्ति और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। आयोजन ने धार्मिक चेतना को जाग्रत करते हुए आत्मिक आनंद की अनुभूति कराई।

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