रायपुर में बच्चों ने सीखी शांतिधारा और नवांगी पूजा की विधि

रायपुर-जैन कनेक्ट संवाददाता | आचार्य जिनमणि प्रभ सूरीश्वरजी की प्रेरणा से रायपुर के सीमंधर स्वामी जैन मंदिर में रविवार को सौ से अधिक बच्चों ने स्नात्र पूजा, शांतिधारा, नवांगी पूजा और गुरुवंदन की पारंपरिक विधियां सीखी। सीमंधर स्वामी मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस विशेष आयोजन में बच्चों ने आध्यात्मिक अनुशासन और जैन संस्कृति से रूबरू होते हुए आत्मकल्याणकारी श्लोकों का पाठ भी सामूहिक रूप से किया।

🎓 धार्मिक शिक्षा की अनूठी पहल गुरुदेव की प्रेरणा से बच्चों को प्रत्येक रविवार को पूजा विधियों का अध्ययन कराया जा रहा है, जिससे वे धर्म के मूल तत्वों को समझ सकें।

🪔 शांतिधारा की विधि का प्रशिक्षण सौ से अधिक बच्चों को शांतिधारा की संपूर्ण विधि सिखाई गई, जो स्नात्र पूजा के अंत में की जाती है।

💧 स्नात्र जल की अखंड धारा का महत्व महेन्द्र कोचर ने बताया कि स्नात्र जल की अखंड धारा से जीवन में समृद्धि, शांति और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

📿 सामूहिक पाठ ने किया भावविभोर बच्चों ने “भावे भावना भावीए” जैसे श्लोकों का सामूहिक पाठ कर मंदिर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

🎉 स्नात्र महोत्सव का भव्य आयोजन तीर्थंकर जन्मकल्याणक के निमित्त स्नात्र महोत्सव में बच्चों को इसकी गहराई से जानकारी दी गई।

🛕 नवांगी पूजा का विधिवत अभ्यास बच्चों को जिन प्रतिमा के 9 अंगों की पूजा पद्धति सिखाई गई और नवांगी पूजा करवाई गई।

🏅 बच्चों को किया गया पुरस्कृत प्रशिक्षण में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनके प्रायोजक प्रमोद कुमार बच्छावत (मुंबई) रहे।

🧘‍♂️ गुरुवंदन की परंपरा सिखाई चारों दादागुरुदेवों के समक्ष गुरुवंदन की प्रक्रिया को विधिपूर्वक सिखाया गया, जिसमें खमासमण भी कराया गया।

📖 दादागुरुदेव इक्तिसा का पाठ कार्यक्रम का समापन दादागुरुदेव इक्तिसा के सामूहिक पाठ से किया गया, जिससे वातावरण भक्ति से सराबोर हो गया।

🤝 ट्रस्ट का सतत प्रयास संतोष बैद, महेन्द्र कोचर, नीलेश गोलछा और योगेश बंगानी जैसे ट्रस्टीज का यह सतत प्रयास बच्चों को धर्म के प्रति सजग बना रहा है।

यह आयोजन न केवल जैन धर्म की परंपराओं को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बना, बल्कि बच्चों के मन में धार्मिक मूल्यों के प्रति आस्था और अनुशासन की भावना भी उत्पन्न की।

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