चातुर्मास प्रवेशोत्सव में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब !

जसदण-जैन कनेक्ट संवाददाता | बिलीमोरा सोंमनाथ रोड पर चातुर्मास के पावन अवसर पर पण्यसम्राट पंन्यासप्रवर पद्मदर्शनविजयजी, मुनि प्रीतदर्शनजी, मुनि प्रेमदर्शनजी म. एवं लब्धि-विक्रमसूरि परंपरा की साध्वी सुयशमाला जी आदि ठाणा का चातुर्मास प्रवेश उत्सव हर्षोल्लास और आध्यात्मिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ।

इस पवित्र प्रसंग पर भव्य सामैया, भक्ति संगीत और विशाल भक्त समुदाय की उपस्थिति ने वातावरण को दिव्यता से भर दिया। संतों की आगवानी और उनके स्वागत समारोह में श्रद्धा, भक्ति और उत्सव का अपूर्व संगम देखने को मिला।

🎉 भव्य सामैया के साथ संतों का स्वागत बैंड-बाजे के साथ राजभोग सर्कल से शुरू हुआ सामैया जुलूस मंदिर परिसर होते हुए ऑडिटोरियम तक पहुँचा।

🛕 प्रभु दर्शन से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ संतों ने सोंमनाथ मंदिर में प्रभु दर्शन किए और फिर स्वागत सभा आयोजित हुई।

👥 दक्षिण गुजरात से उमड़ा विशाल भक्त समुदाय वर्षों से ताप्ती से वापी तक चातुर्मास कर रहे इन संतों के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं का अपार जनसमूह उमड़ा।

🎶 भक्ति संगीत से गूंजा वातावरण सुरत के संगीतकार कृतिक शाह द्वारा प्रस्तुत भजनों ने श्रद्धा का वातावरण रच दिया।

🙏 गोहर्बाग संघ ने किया संतों और अतिथियों का सम्मान संघ के ट्रस्टी परेशभाई श्रॉफ ने संतों और आगंतुकों का अभिनंदन किया।

📜 चातुर्मास के विविध धार्मिक आयोजनों की घोषणा शिबिर, तपस्वर्या, प्रवचन, गुरु पूर्णिमा, पर्यूषण महापर्व जैसे अनेक कार्यक्रम होंगे।

🧘 चातुर्मास को बताया साधना और संयम का पर्व पंन्यास पद्मदर्शनजी ने प्रवचन में चातुर्मास को आत्मशुद्धि और साधना का काल बताया।

💧 प्रभु वाणी आत्मा को भिगोती है उन्होंने कहा – “पानी भूमि को भिगोता है, पर प्रभु की वाणी आत्मा को भिगोती है”।

🌧️ वर्षा ऋतु में एक स्थान पर रहकर साधना की प्रेरणा जीवोत्पत्ति की अधिकता को देखते हुए हिंसा से बचाव हेतु स्थिरता का पालन आवश्यक बताया।

🌿 सत्संग को बताया पाप, ताप और दीनता का नाशक गुरुदेव ने कहा – “गंगा पाप को, चंद्रमा ताप को और कल्पवृक्ष दीनता को दूर करता है, पर सत्संग इन तीनों का मूल नाश करता है।”

चातुर्मास प्रवेश के इस उल्लासमय अवसर ने भक्तों को आत्मिक ऊर्जा और साधना का प्रेरणास्त्रोत प्रदान किया। गोहर्बाग जैन संघ द्वारा आयोजित यह पर्व श्रद्धा, संयम और संस्कृति के त्रिवेणी संगम के रूप में स्मरणीय बन गया।

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