जोधपुर – जैन कनेक्ट संवाददाता | धर्म, संयम और आत्मशुद्धि की राह पर चलते हुए 25 वर्षीय चारु छाजेड़ अब सांसारिक जीवन को त्याग कर साध्वी जीवन में प्रवेश करने जा रही हैं। बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने जीवन को समर्पित करने का जो संकल्प लिया, वह अब दीक्षा के रूप में परिणत हो रहा है। चारु छाजेड़ 28 मई को बीकानेर में साधुमार्गी जैन परंपरा के आचार्य रामेश जी के सान्निध्य में दीक्षा ग्रहण करेंगी। यह अवसर न केवल उनके जीवन का एक नया अध्याय है, बल्कि जैन समाज के लिए भी गौरव का क्षण है।
🔹 सिविल इंजीनियर से साध्वी बनने की यात्रा चारु छाजेड़ ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की, लेकिन जल्द ही उन्होंने सांसारिक मोह से विरक्ति का अनुभव किया।
🌿 तीन वर्षों का वैराग्य काल वैराग्य काल के दौरान उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन और आत्म अनुशासन का पालन किया।
📚 धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि श्रीमद दशवैकालिक, नंदी सूत्र, उत्तराध्ययन जैसे शास्त्रों का अध्ययन किया और ज्ञान के पथ पर आगे बढ़ीं।
🚶 300 किमी से अधिक पदयात्रा इस दौरान उन्होंने 300 किलोमीटर से अधिक की धार्मिक पदयात्रा कर साधना की गहराई को अनुभव किया।
🪔 तप आराधना में समर्पण तेल, आयंबिल, अठाई, सिद्धितप, एकादशी आदि कठिन तप साधनाओं का पालन कर स्वयं को तपाया।
👨👩👧 धार्मिक परिवार की प्रेरणा पिता गजराज छाजेड़ रेलवे विभाग से सेवानिवृत्त अभियंता हैं और माता अनिता की मौन तपस्या ने चारु को गहराई से प्रभावित किया।
🏆 संघ द्वारा सम्मान चारु व उनके परिवार का इस सप्ताह साधुमार्गी जैन संघ, जोधपुर की ओर से सार्वजनिक बहुमान किया जाएगा।
🧘 संत आचार्य रामेश का सान्निध्य आचार्य रामेश जी के निर्देशन में अब तक 430 से अधिक लोग दीक्षा ग्रहण कर चुके हैं।
📍 बीकानेर में होगा ऐतिहासिक आयोजन 28 मई को बीकानेर में भव्य दीक्षा समारोह आयोजित होगा, जिसमें देशभर से श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे।
📅 गुजरात से जोधपुर, फिर बीकानेर तक का सफर गांधीधाम (गुजरात) में जन्मी चारु का अब साध्वी बनने तक का यह सफर अनुकरणीय बन चुका है।
यह दीक्षा केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि संयम, धर्म और आत्मकल्याण की ओर बढ़ता एक प्रेरणादायक कदम है। चारु छाजेड़ का यह साहसिक निर्णय निश्चित रूप से नई पीढ़ी के लिए एक प्रकाश स्तंभ का कार्य करेगा।

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