भिलवाडा कें पार्श्वनाथ मंदिर में शांतिनाथ भगवान का दिव्य अभिषेक

भीलवाड़ा – जैन कनेक्ट संवाददाता | भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर क्षेत्र में रविवार को पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का अनुपम संगम देखने को मिला। भव्य रथयात्रा के साथ 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ का अभिषेक एवं शांतिधारा पूरे हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। एक जैसी पोशाक में सजे श्रावकों-श्राविकाओं ने नंगे पांव भगवान का रथ खींचकर पुण्यार्जन किया, जबकि मुनि अनुपम सागर एवं मुनि निर्मोह सागर महाराज के सान्निध्य ने इस आयोजन को दिव्यता प्रदान की।

🛕 श्री शांतिनाथ का रथ में विराजमान होना राजेंद्र-वीरेंद्र छाबड़ा परिवार द्वारा भगवान शांतिनाथ को रथ में विराजमान कर रथयात्रा की शुरुआत की गई।

👣 125 श्रावकों ने नंगे पांव खींचा रथ एक जैसी पोशाक और साफा पहने 125 श्रद्धालु नंगे पांव भगवान का रथ खींचते हुए मंदिर तक पहुंचे।

👑 श्राविकाओं ने किया चंवर ढुलाना 20 श्राविकाएं मुकुट पहनकर रथ के साथ चलती रहीं और चंवर ढुलाती रहीं, जिससे वातावरण भक्तिमय बना।

🚩 ध्वजाओं से सजी शोभायात्रा 27-27 श्राविकाओं ने लाल, केसरिया, सफेद, हरे और नीले रंग की पचरंगी ध्वजाएं लेकर शोभायात्रा की शोभा बढ़ाई।

📿 मुनि संघ का दिव्य सान्निध्य मुनि अनुपम सागर एवं मुनि निर्मोह सागर महाराज की उपस्थिति ने आयोजन को आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान की।

📖 जिनवाणी माता की पालकी यात्रा चार श्रावकों द्वारा जिनवाणी माता को पालकी में विराजमान कर प्रभावना की गई, जिससे श्रद्धा का वातावरण गूंज उठा।

🎶 संगीतमय पूजन विधि पंडित आशुतोष शास्त्री ने कमलेश जैन एंड पार्टी की संगीतमयी धुनों पर पूजन विधि संपन्न कराई।

🌼 ध्वजारोहण से हुआ स्वागत शास्त्रीनगर मंदिर में रथ के प्रवेश पर ध्वजारोहण का सौभाग्य शांतिदेवी, दिलीप, प्रवीण, नवीन चौधरी परिवार को प्राप्त हुआ।

💦 स्वर्ण पांडुशिला पर हुआ प्रथम अभिषेक स्वर्ण कलश से अभिषेक का सौभाग्य छाबड़ा परिवार को मिला, वहीं शांतिधारा का सौभाग्य बैंगलोर के अरुण जैन को प्राप्त हुआ।

👣 1008 मंत्रों से किया अभिषेक 20 श्रावक परिवारों ने 1008 ऋद्धि मंत्रों से शांतिनाथ भगवान का अभिषेक किया, मुनि संघ के मुखारबिंद से मंत्र उच्चारण किया गया।

इस आयोजन ने भीलवाड़ा जैन समाज में अध्यात्म, एकता और सेवा का अनुपम संदेश प्रसारित किया। रथयात्रा से लेकर अभिषेक और शांतिधारा तक हर आयोजन में श्रद्धालुओं की भागीदारी ने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। शांतिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा और उनके मंत्रों की गूंज ने संपूर्ण वातावरण को पुण्य और पवित्रता से भर दिया।

Source : Dainik Bhaskar

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