भडगाव-जैन कनेक्ट संवाददाता | विलेपार्ले (मुंबई) में जैन मंदिर पर बीएमसी द्वारा की गई तोड़फोड़ की कार्रवाई के विरोध में देशभर में आक्रोश फैल गया है। इसी के तहत भडगाव के जैन श्रावक संघ, जैन नवयुवक मंडळ और ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स ने संयुक्त रूप से प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मंदिर की पुनःस्थापना के साथ-साथ जैन तीर्थस्थलों और संतों को स्थायी सुरक्षा दिलाने की मांग प्रमुखता से की गई है।
🛕 मंदिर तोड़फोड़ की निंदा विलेपार्ले स्थित ऐतिहासिक जैन मंदिर को बुलडोज़र और जेसीबी की मदद से अचानक तोड़ दिया गया, जिसमें धार्मिक ग्रंथों और मूर्तियों का अपमान हुआ।
📚 पूजासामग्री और धर्मग्रंथों की विटंबना मंदिर में रखी गई पूजासामग्री और धार्मिक ग्रंथों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिससे जैन समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
👨⚖️ दोषियों के निलंबन और कार्रवाई की मांग ज्ञापन में बीएमसी के दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है।
🏗️ मंदिर के पुनर्निर्माण की अपील समाज ने स्पष्ट मांग की है कि मंदिर को उसी स्थान पर पुनःनिर्मित किया जाए और उसकी धार्मिक गरिमा बहाल की जाए।
🛡️ सभी तीर्थस्थलों को स्थायी सुरक्षा कानून की आवश्यकता देश के सभी जैन तीर्थस्थलों और मंदिरों को सुरक्षा देने वाला स्थायी कानून पारित करने की मांग की गई है।
🚶♂️ साधु-साध्वियों को विहार के दौरान सरकारी सुरक्षा जैन साधु-साध्वियों को विहार के समय पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता जताई गई।
⛰️ तीर्थस्थलों पर पूजा में अवरोध पर केंद्र से कार्रवाई की मांग पालिताना, गिरनार, समद शिखरजी जैसे तीर्थों पर पूजा रोकने वालों पर केंद्र सरकार से कठोर कार्रवाई की अपेक्षा जताई गई।
🥋 संतों पर हमलों के खिलाफ केंद्रीय कानून की मांग पिछले कुछ वर्षों में साधु-संतों पर हुए हमलों को लेकर विशेष सुरक्षा कानून बनाने की आवश्यकता जताई गई।
🕊️ पहलगाम आतंकी हमले की निंदा कश्मीर के पहलगाम में हिंदू यात्रियों पर हुए हमले की भी कठोर शब्दों में निंदा की गई।
🚫 जैन धर्म के विरुद्ध अपमानजनक भाषा पर कार्रवाई राजनीतिक नेताओं द्वारा जैन धर्म के विरुद्ध की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों पर सख्त कार्यवाही की मांग की गई।
जैन समाज ने हमेशा अहिंसा, शांति और सहिष्णुता का मार्ग अपनाया है। लेकिन हाल की घटनाओं ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। भडगाव से उठी यह आवाज केवल एक मंदिर के लिए नहीं, बल्कि पूरे जैन समाज की गरिमा और सुरक्षा की पुकार है। समाज अब सजग है, संगठित है और अपने अधिकारों के लिए खड़ा है।

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