पांच युवा आत्माओं ने अपनाया संयम का पथ, बाड़मेर में दीक्षा महोत्सव सम्पन्न

बाड़मेर–जैन कनेक्ट संवाददाता | बाड़मेर में रविवार का दिन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक ऐतिहासिक और भावुक क्षण लेकर आया। सांसारिक जीवन की मोह-माया को त्यागते हुए पांच युवा आत्माओं ने संयम और साधना का मार्ग चुना। कुशल वाटिका में आयोजित भव्य दीक्षा महोत्सव में एक युवक और चार युवतियों ने आचार्यश्री और साध्वीवृंद के सान्निध्य में दीक्षा ली। वर्षीदान, विदाई, केशलोंच और नामकरण जैसे भावुक क्षणों ने माहौल को आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया।

🔹 🌿 सांसारिक मोह का परित्याग 24 से 31 वर्ष आयु वर्ग के पांच युवाओं ने संसारिक जीवन को त्याग कर संयमित जीवन का वरण किया।

🔸 🙏 वर्षीदान की पुण्य परंपरा दीक्षा से पूर्व मुमुक्षुओं ने दोनों हाथों से दान देकर समस्त सांसारिक वस्तुओं का त्याग किया।

🔹 📿 आचार्यश्री का प्रेरणादायी प्रवचन आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. ने माता-पिता के संस्कारों को दीक्षा का मूल बताया।

🔸 🌸 भावुक विदाई मुमुक्षुओं की घर से दीक्षा स्थल तक की विदाई के दौरान परिजन भावुक हो उठे।

🔹 संयम की खुशी में नृत्य रजोहरण मिलने पर मुमुक्षु उत्साह से नृत्य करने लगे, वातावरण आध्यात्मिक आनंद से भर उठा।

🔸 👗 नूतन वेश में वापसी संयम वेश धारण कर मुमुक्षु जब पांडाल लौटे, तो उपस्थित श्रद्धालुओं में उन्हें देखने का उत्साह चरम पर था।

🔹 केशलोंच और नामकरण दीक्षा प्रक्रिया के तहत केशलोंच और नूतन नामकरण विधि से सभी मुमुक्षुओं को नया आध्यात्मिक जीवन मिला।

🔸 🧘 नूतन मुनि एवं साध्वियों की घोषणा अक्षय मालू बने नूतन मुनि मेरु प्रभु सागरजी, जबकि चारों युवतियां साध्वी श्रीजी के नाम से दीक्षित हुईं।

🔹 🎊 समाज की सहभागिता बाड़मेर जैन समाज ने भारी संख्या में उपस्थिति देकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।

🔸 📖 संस्कारों की विरासत संस्कारों को पीढ़ी दर पीढ़ी संजोने का संदेश इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज को मिला।

इस पांच दिवसीय दीक्षा महोत्सव का समापन अध्यात्म, साधना और भावनात्मक समर्पण के अद्वितीय संगम के रूप में हुआ। समाज के युवाओं में संयम पथ की यह प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर रहेगी।

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