अयोध्या – जैन कनेक्ट संवाददाता | अयोध्या में स्थित रायगंज दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना के 60 वर्ष पूर्ण होने पर हीरक जयंती महोत्सव श्रद्धा, संयम और भक्ति भाव से मनाया गया। जैन धर्म की सर्वोच्च साध्वी ज्ञानमती माताजी के पावन सान्निध्य में आयोजन वैदिक व जैन मंत्रों की दिव्य गूंजों से अनुप्राणित रहा। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु उपस्थित रहे और आध्यात्मिक उत्सव का भाग बने।
भगवान ऋषभदेव का अभिषेक31 फीट ऊंची प्रतिमा का अभिषेक 51 लीटर दूध से किया गया, जिससे संयम और तप की भावना प्रकट हुई।
🕊️विश्व शांति हेतु शांतिधारादाहोद (गुजरात) से आए अजीत कुमार व संगीता बेन ने शांतिधारा कर समस्त विश्व के कल्याण की प्रार्थना की।
🪔108 थालों से अष्टद्रव्य विधानचंदन, पुष्प, दीप, फल, जल आदि अष्टद्रव्यों से सुसज्जित 108 थालों से भगवान का पूजन मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुआ।
📜प्राचीन स्थापना का इतिहास साझामंदिर पीठाधीश रवींद्र कीर्ति स्वामी ने प्रतिमा स्थापना का इतिहास बताया, जिसकी शुरुआत 1965 में आचार्य देश भूषण जी ने की थी।
🪨मकराना पत्थर से निर्मित प्रतिमाजयपुर से लाए गए मकराना पत्थर से बनी भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा को मंदिर परिसर में ही तराशा गया था।
🌸 साध्वी ज्ञानमती का सान्निध्य ज्ञानमती माताजी की प्रेरणादायी उपस्थिति ने आयोजन को आध्यात्मिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
🌍 देशभर से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब दिल्ली, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, गुजरात समेत कई राज्यों से सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
🧘♂️तप, त्याग और संयम की अनुभूति अभिषेक की प्रत्येक धारा में त्याग और साधना की ऊर्जा प्रवाहित हुई, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
🎶 मंत्रोच्चार से गूंज उठा मंदिर पूरे आयोजन के दौरान जैन और वैदिक मंत्रों की सामूहिक ध्वनि से परिसर आध्यात्मिक तरंगों से भर उठा।
📖 संस्कृति संरक्षण पर विशेष चर्चा समारोह में जैन संस्कृति के संरक्षण और मंदिर के योगदान को भी रेखांकित किया गया।
इस आयोजन ने न केवल ऋषभदेव भगवान के प्रति श्रद्धा को प्रकट किया, बल्कि अयोध्या की धार्मिक समरसता और जैन संस्कृति की परंपरा को भी सशक्त किया। 60 वर्ष पूर्व स्थापित यह प्रतिमा आज भी आस्था और साधना का केंद्र बनी हुई है, और यह आयोजन जैन धर्म की जीवंतता का साक्षी बन गया।

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