अशोकनगर-जैन कनेक्ट संवाददाता | अशोकनगर के सुभाषगंज मंदिर में रविवार को विश्व णमोकार महामंत्र दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य जाप आराधना महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री अविचल सागर महाराज ससंघ का सान्निध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि जीवन में पवित्र शब्दों का उच्चारण अत्यंत आवश्यक है और एक अक्षरी मंत्र जाप की साधना आत्मा को शुद्ध करती है।
🌟 मंत्र जाप से होता है आत्मा का शुद्धिकरण मुनिश्री अविचल सागर महाराज ने कहा कि जाप में मन लगे या न लगे, निरंतर जाप करना चाहिए। जैसे चासनी में भीगा गोला हर तरफ से मीठा हो जाता है, वैसे ही जाप से जीवन मधुर हो जाता है।
🧘 एक अक्षरी मंत्र की साधना का महत्व उन्होंने कहा कि भगवान स्वयं कहते हैं कि मन में शुद्ध भावनाओं का उच्चारण करते रहो। एक अक्षरी मंत्र का जाप आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होता है।
🔥 उत्साह से होता है शुभ कर्मों का बंध मन में निरंतर उत्साह बना रहने से शुभ कर्मों का बंध होता है, जो आत्मा को देवगति तक ले जा सकता है।
🌐 140 देशों में एक साथ हुआ जाप मध्य प्रदेश महासभा संयोजक विजय जैन ने बताया कि 140 देशों में एक साथ णमोकार महामंत्र का जाप हो रहा है, जो एक ऐतिहासिक क्षण है।
🏛️ दिल्ली से पीएम मोदी ने किया शुभारंभ दिल्ली के विज्ञान भवन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैश्विक आयोजन का शुभारंभ किया, जिससे देश-विदेश में उत्साह की लहर दौड़ गई।
🕯️ दीप प्रज्ज्वलन से हुई कार्यक्रम की शुरुआत जिला पंचायत सीईओ राजेश कुमार जैन, समाज अध्यक्ष राकेश कासंल एवं उपाध्यक्ष अजित बरोदिया द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
🙏 सभी समाजों की रही सक्रिय भागीदारी इस महाआयोजन में दिगंबर जैन पंचायत, जैन समाज तथा श्वेतांबर समाज की एकजुटता और सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।
📣 विश्व णमोकार महामंत्र दिवस घोषित करने की मांग विजय जैन ने कहा कि इस दिन को विश्व णमोकार महामंत्र दिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी जानी चाहिए, ताकि यह आध्यात्मिक परंपरा आगे बढ़े।
👨👩👧👦 सभी वर्गों में दिखा अध्यात्मिक उत्साह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने इस जाप में भाग लिया और आंतरिक शांति की अनुभूति की।
🎤 मुनिश्री के प्रवचन ने मोहा जनमानस मुनिश्री अविचल सागर महाराज के प्रवचन में पवित्रता, संयम और साधना का गहन संदेश था, जिसने जनमानस को भावविभोर कर दिया।
इस भव्य महोत्सव ने अशोकनगर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के जैन समाज को एक सूत्र में बाँध दिया। श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया कि वे भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में भाग लेकर अपनी आत्मा की शुद्धि करेंगे और समाज में आध्यात्मिकता का संदेश फैलाएंगे।
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