‘नींव का पत्थर’ के लिए अरुण जैन को मिला लघुकथा श्री कृति सम्मान

फरीदाबाद–जैन कनेक्ट संवाददाता | देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था लघुकथा शोध केंद्र समिति, भोपाल द्वारा विश्व लघुकथा दिवस के अवसर पर भोपाल स्थित हिंदी भवन के मुख्य सभागार में आयोजित एक गरिमामय समारोह में इंजी. अरुण कुमार जैन को उनके लघुकथा संग्रह ‘नींव का पत्थर’ के लिए वर्ष 2025 का लघुकथा श्री कृति सम्मान प्रदान किया गया। अरुण जैन वर्तमान में अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में सेवा दे रहे हैं और ललितपुर (उ.प्र.) के मूल निवासी हैं।

🏆 सम्मानित हुआ ‘नींव का पत्थर’ अरुण जैन को उनके लघुकथा संग्रह ‘नींव का पत्थर’ के लिए लघुकथा श्री कृति सम्मान 2025 से नवाजा गया।

📖 साहित्य और शिक्षा का संबंध कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा—”श्रेष्ठ साहित्य से ही शिक्षा और समाज का स्तर ऊँचा होता है।”

👩‍🏫 डॉ कांता राय ने दी कृति की प्रशंसा संस्था की अध्यक्ष डॉ कांता राय ने ‘नींव का पत्थर’ को स्वस्थ मनोरंजन और समाज को दिशा देने वाली रचना बताया।

🎓 विशिष्ट साहित्यकारों की उपस्थिति डॉ देवेंद्र दीपक, सुरेश नीरव, डॉ उमेश सिंह, गोकुल सोनी आदि ने अरुण जैन को शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

✍️ कृतियों के पीछे जीवन अनुभव अरुण जैन ने बताया कि लघुकथाएं उनके भुवनेश्वर प्रवास के अनुभवों से प्रेरित हैं जिन्हें देशभर में सराहा गया।

📚 ‘ममतामृत’ का लोकार्पण इस अवसर पर उनके नए लघुकथा संग्रह ‘ममतामृत’ का भी विमोचन हुआ, जिसकी भूमिका डॉ कांता राय ने लिखी है।

❤️ स्नेह और समर्पण की कथाएं ‘ममतामृत’ में स्नेह, ममता, करुणा और राष्ट्र समर्पण की कहानियों का समावेश किया गया है।

🏥 सेवा के साथ साहित्य का संगम अरुण जैन पिछले 8 वर्षों से अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में कार्यरत हैं, साथ ही 20 से अधिक साहित्यिक कृतियाँ लिख चुके हैं।

📺 प्रसार माध्यमों से भी जुड़े उनकी 3000 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं और वे दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं।

🇮🇳 ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से राष्ट्र को समर्पण वर्तमान में वे ‘ऑपरेशन सिंदूर, आप भी सीमा पर’ नामक संयुक्त काव्य संग्रह पर कार्य कर रहे हैं, जो राष्ट्र भक्ति का संदेश देगा।

अरुण जैन का यह सम्मान न केवल उनकी साहित्यिक प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे साहित्य समाज, संस्कृति और राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। उनकी लेखनी आज भी जनमानस को स्पर्श करती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनती है।

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