देवबंद–जैन कनेक्ट संवाददाता | अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री दिगंबर जैन मंदिर, बाहरा (देवबंद) में भक्तांबर विधान का भव्य आयोजन किया गया। इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं ने पूर्ण भक्ति भाव से भगवान ऋषभदेव का अभिषेक, शांतिधारा और पूजन कर पुण्य अर्जित किया। पूरे कार्यक्रम में आध्यात्मिकता के साथ सेवा भाव का अनूठा मेल देखने को मिला।
🛕 ऋषभदेव का अभिषेक जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का अभिषेक इंद्रों की विधि अनुसार श्रद्धा से किया गया।
🧘 शांतिधारा का आयोजन षष्ठ तीर्थंकर की स्मृति में णमोकार महामंत्र के साथ शांतिधारा की गई, जिसका सौभाग्य ऋषभ जैन को प्राप्त हुआ।
🌸 नित्य नियम पूजन संपन्न भक्तों द्वारा नित्य नियम से तीर्थंकर पूजन कर धर्म आराधना की गई।
🏺 मांडले पर कलश स्थापना भक्तांबर विधान के मांडले के चारों ओर कलश स्थापना का सौभाग्य सविता जैन, उषा जैन, सरिता जैन, सुनीता जैन को मिला।
🔆 अखंड दीपक प्रज्वलन मंदिर में अखंड दीपक प्रज्वलित करने का सौभाग्य अंजलि जैन को मिला, जो श्रद्धा का प्रतीक बना।
📖 भक्तांबर पाठ से कष्टों की निवृत्ति अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि भक्तांबर पाठ से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
🥤 गन्ने के रस का वितरण रेलवे रोड, भायला रोड और जनकपुरी में श्रद्धालुओं के लिए गन्ने के रस की छबील लगाई गई।
🙏 दान-पुण्य का महत्व इस अवसर पर जैन धर्म में वर्णित दान, संयम और तप की भावना को जीवंत किया गया।
👨👩👧 समाज की सक्रिय भागीदारी चंदनबाला जैन, पारुल जैन, शिखा जैन, सुरभि जैन, प्रत्युष जैन, सिद्धांत जैन, विभोर जैन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
📜 धार्मिक परंपराओं का निर्वाह संस्थापक अंकित जैन ने भगवान ऋषभदेव के गन्ने के रस से पारणा की कथा से समाज को जोड़ा और पर्व की ऐतिहासिकता बताई।
यह आयोजन जैन धर्म की आध्यात्मिक परंपराओं और सेवा के सिद्धांतों का जीवंत उदाहरण बना। श्रद्धा, भक्ति और समाजसेवा से युक्त यह पर्व समाज को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहा।
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