
अजमेर – जैन कनेक्ट संवाददाता | धार्मिक नगरी अजमेर आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण की साक्षी बनी जब प्रख्यात दिगंबर जैन आचार्य श्री वसुंनंदीजी महामुनिराज का ससंघ भव्य मंगल प्रवेश संपन्न हुआ। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने गुरु-शिष्य मिलन का सजीव साक्षात्कार किया। तपस्वी साधु-साध्वियों के संघ सहित यह यात्रा श्रद्धा, संयम और भक्ति का संदेश लेकर शहरभर में निकाली गई, जिससे संपूर्ण अजमेर आध्यात्मिक रंग में रंग गया।
🔸 शोभायात्रा का भव्य शुभारंभ केंद्रीय बस स्टैंड से शुरू हुई शोभायात्रा में आचार्य संघ के साथ साधु-साध्वियों का तपस्वी दल भी शामिल रहा, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक बना।
🌿 श्रद्धा से भरे पग-पछाल दृश्य शहरवासियों ने मार्ग में जगह-जगह आचार्य श्री के चरण पखारकर अपार श्रद्धा का प्रदर्शन किया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।
📿 आध्यात्मिक जयकारों से गूंजा शहर जयकारों, भक्ति गीतों और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि से पूरा शहर आध्यात्मिक उल्लास में सराबोर हो गया।
📍 सोनीजी की नासिया में विशाल धर्मसभा गंतव्य स्थल सोनीजी की नासिया में आयोजित धर्मसभा में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
🧘 प्रवचनों में संयम और आत्मकल्याण का संदेश आचार्य श्री ने सरल और प्रभावशाली वाणी में संयम, अहिंसा और आत्मकल्याण का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी।
🛕 श्री जिनशासन तीर्थ की ओर अगला पड़ाव मंगल प्रवेश आगामी 20 से 25 अप्रैल को नाका मदार स्थित श्री जिनशासन तीर्थ में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव का हिस्सा है।
🚶 आचार्य संघ में 11 तपस्वी साधु-साध्वियों का दल इस आध्यात्मिक यात्रा में आचार्य श्री के साथ लगभग 11 तपस्वी संतों का दल सम्मिलित रहा।
🌈 भविष्य में और भव्य आगमन की तैयारी 11 अप्रैल को 41 से अधिक साधु-साध्वियों का अजमेर आगमन प्रस्तावित है, जो एक और ऐतिहासिक क्षण होगा।
🎉 पंचकल्याणक महोत्सव को लेकर विशेष उत्साह समाज में इस आयोजन को लेकर उत्साह का माहौल है, जिसमें श्रद्धा और सेवा भाव की झलक स्पष्ट देखी गई।
🌟 श्रद्धा, संयम और समाज का सशक्त संदेश यह आयोजन समाज को अध्यात्म, संयम और आत्मविकास की दिशा में अग्रसर करने वाला सिद्ध हो रहा है।
संक्षेप में, श्री वसुंनंदीजी महामुनिराज का मंगल प्रवेश न केवल गुरु-शिष्य प्रेम का प्रतीक रहा, बल्कि जैन समाज के लिए एक प्रेरणादायक और ऐतिहासिक अध्याय बन गया है। पूरे आयोजन में श्रद्धालु भावविभोर रहे और आध्यात्मिक चेतना से ओतप्रोत वातावरण ने अजमेर को धर्मनगरी के रूप में पुनः प्रतिष्ठित किया।
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