अजमेर – जैन कनेक्ट संवाददाता | जैन समाज के प्रख्यात संत आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रथम समाधि दिवस के उपलक्ष्य में अजमेर में ‘गुरु गुणानुवाद महोत्सव’ गुरुवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर सकल जैन समाज द्वारा भव्य गुरु गौरव यात्राओं का आयोजन किया गया, जो नगर के दो विभिन्न स्थानों से प्रारंभ होकर कीर्ति स्तंभ दीक्षा स्थली होते हुए एक धर्मसभा स्थल पर पहुंचीं। धर्मसभा में संतों और समाज के प्रमुख जनों ने आचार्य श्री के विचारों को स्मरण करते हुए समाज को सत्य, संयम और स्वदेशी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
📿 भव्य गुरु गौरव यात्राओं का आयोजन केसरगंज स्थित पारसनाथ जैन मंदिर और वैशाली नगर की पारसनाथ कॉलोनी से दो विशाल गौरव यात्राएं निकाली गईं, जिनमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
🪔 कीर्ति स्तंभ दीक्षा स्थली पर हुआ संगम दोनों यात्राएं महावीर सर्किल स्थित कीर्ति स्तंभ दीक्षा स्थली पर एकत्रित हुईं, जहां आचार्य श्री की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
🕊️ धर्मसभा में संतों और समाज का समागम सुभाष उद्यान के निकट निजी समारोह स्थल पर आयोजित धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और संतों के विचार सुने।
🧘 संयम और सत्य के पथ की प्रेरणा धर्मसभा में उपस्थित जैन संतों ने आचार्य विद्यासागर महाराज के संयम, तप और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
👩🎓 स्त्री शिक्षा के लिए किया अभूतपूर्व कार्य जैन समाज की हजारों बेटियों को आचार्य श्री के आशीर्वाद से शिक्षण संस्थानों में विद्या प्राप्त हो रही है।
🐄 गौशालाओं की स्थापना और संरक्षण देशभर में कई गौशालाएं आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से संचालित हो रही हैं, जो जीवदया की मिसाल हैं।
🧵 हथकरघा और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा हजारों लोगों को स्वरोजगार दिलाने हेतु आचार्य श्री ने हथकरघा और स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने का संदेश दिया।
🌿 देशी औषधियों के प्रयोग की शिक्षा आचार्य श्री ने प्राकृतिक चिकित्सा और देशी औषधियों के प्रयोग को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया।
🛕 डोंगरगढ़ में समाधि स्थल की स्थापना रायपुर (छत्तीसगढ़) के निकट डोंगरगढ़ में आचार्य विद्यासागर महाराज का समाधि स्थल स्थापित किया गया है।
📅 अजमेर में दीक्षा की ऐतिहासिक स्मृति 30 जून 1968 को आचार्य विद्यासागर महाराज ने अजमेर में दीक्षा ली थी, जिससे यह नगर उनके जीवन से अमिट रूप से जुड़ गया।
आचार्य विद्यासागर महाराज का जीवन समाज, शिक्षा, संस्कृति और आत्मकल्याण की प्रेरणा का पुंज रहा है। प्रथम समाधि दिवस पर आयोजित गुरु गुणानुवाद महोत्सव न केवल श्रद्धांजलि का प्रतीक रहा, बल्कि यह संत की शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर भी बना। अजमेरवासियों ने श्रद्धा, सेवा और समर्पण के साथ यह दिवस मनाकर अपने गौरव संत को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की।

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