
अहमदाबाद-जैन कनेक्ट संवाददाता | जैन धर्म के पवित्र चातुर्मास पर्व के आरंभ के साथ ही अहमदाबाद शहर में एक अद्वितीय और आध्यात्मिक पहल ने सभी का ध्यान खींचा है। यहां के 840 जैन श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से ‘मासक्षमण तपस्या’ प्रारंभ की है — जिसमें श्रद्धालु लगातार 30 दिनों तक उपवास करते हैं। यह संख्या न केवल शहर के लिए बल्कि समूचे देश के लिए एक नया कीर्तिमान मानी जा रही है।
📌 आइए इस अनूठे धार्मिक उपक्रम से जुड़ी प्रमुख बातों पर नज़र डालते हैं:
🙏 अहमदाबाद में 840 श्रद्धालुओं का सामूहिक उपवास 🔢 चातुर्मास के अवसर पर 840 श्रद्धालुओं ने एक साथ 30 दिन का मासक्षमण उपवास प्रारंभ किया है, जो शहर के लिए रिकॉर्ड संख्या है।
🌟 बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक की सहभागिता 👦 इस तपस्या में 30 बच्चे (11 से 14 वर्ष की उम्र के), युवा, डॉक्टर, सीए और एक 84 वर्षीय बुजुर्ग तक शामिल हैं।
⏳ कुछ श्रद्धालुओं ने तय सीमा से अधिक दिन उपवास किया 📅 एक श्रद्धालु ने 180 दिन का उपवास पूर्ण किया है, जबकि एक अन्य ने 108 दिन तक उपवास का संकल्प निभाया।
💪 70, 50 और 45 दिन के भी विशेष उपवास 🥗 कई श्रद्धालुओं ने 70, 50 व 45 दिन के उपवास भी किए हैं, जिससे उनकी आत्मिक साधना और अनुशासन का पता चलता है।
🧘 राजरत्नसूरीश्वर महाराज का मार्गदर्शन 🗣️ इस आयोजन का नेतृत्व राजरत्नसूरीश्वर महाराज कर रहे हैं, जिन्होंने बताया कि यह चातुर्मास का नौवां उपवास आयोजन है।
📍 अहमदाबाद बना सबसे आगे 📊 महाराज के अनुसार, अब तक के सभी आयोजनों में अहमदाबाद से सबसे अधिक श्रद्धालु इस बार शामिल हुए हैं।
🌺 13 अगस्त को भव्य सम्मान समारोह 🎉 13 अगस्त को सभी उपवासी श्रद्धालुओं का अभिनंदन व माला पहनाकर सम्मान किया जाएगा।
🚩 14 अगस्त को विशाल शोभायात्रा 🎊 अगला दिन, 14 अगस्त, को वासणा से रिवरफ्रंट तक एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन होगा।
☀️ 15 अगस्त को ‘धर्म सूर्य उदय’ समापन समारोह 📿 इस तप कार्यक्रम का समापन 15 अगस्त को रिवरफ्रंट पर ‘धर्म सूर्य उदय’ के रूप में होगा, जिसमें सभी उपवासी सहभागी होंगे।
🛕 शुद्धता, संयम और आत्मिक साधना का प्रतीक 🌼 यह आयोजन न केवल तपस्या का उदाहरण है बल्कि जैन धर्म में संयम, आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का जीवंत प्रमाण भी है।
इस अभूतपूर्व तप आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया है कि आधुनिक जीवनशैली में रहते हुए भी आत्मिक साधना, अनुशासन और धार्मिक श्रद्धा को सर्वोच्च स्थान दिया जा सकता है। बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक की सहभागिता यह दर्शाती है कि जैन धर्म की परंपराएं आज भी उतनी ही जीवंत हैं।
Source : Gujrat Samachar
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