अहमदाबाद में संत सुरक्षा को लेकर जैन समाज की हुंकार

अहमदाबाद-जैन कनेक्ट संवाददाता | अहमदाबाद शहर में शनिवार को जैन समाज ने संतों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर एक ऐतिहासिक महारैली निकाली। इस रैली में हजारों की संख्या में समाजजन शामिल हुए, जिन्होंने श्वेत वस्त्र पहनकर शांति, एकता और संतों की सुरक्षा की मांग को बुलंद किया। श्री तपागच्छ श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन महासंघ अहमदाबाद के तत्वावधान में आयोजित इस महारैली का आरंभ श्री रेवा जैन संघ, वासणा से हुआ और यह पालडी होते हुए प्रीतमनगर अखाड़ा पहुंचकर सभा में परिवर्तित हुई।

🔸 संतों की सुरक्षा को लेकर समाज की एकजुटता श्वेत वस्त्रधारी हजारों समाजजनों ने हाथों में बैनर, तख्तियां और शांतिपूर्ण नारों के साथ संतों की सुरक्षा की गुहार लगाई।

🛕 संतों को बताया राष्ट्र की धरोहर आयोजकों ने प्रधानमंत्री के नाम एक विस्तृत आवेदन पत्र पढ़ते हुए संतों को ‘राष्ट्रीय संपत्ति’ घोषित करने की मांग रखी।

⚠️ संदिग्ध दुर्घटनाओं से संतों की मौत पाली, बारडोली और भरुच जैसी जगहों पर हुए हादसों का उल्लेख करते हुए इन्हें टार्गेटेड किलिंग करार दिया गया।

🚗 दुर्घटनाओं में दिखी एक जैसी पद्धति हर दुर्घटना में वाहन को नुकसान नहीं होता, चालक बच जाता है, लेकिन संत गंभीर रूप से कुचल दिए जाते हैं – यह सिर्फ संयोग नहीं, साजिश है।

📜 एसआईटी जांच की मांग समाज ने सुप्रीम कोर्ट के निवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में विशेष जांच दल (SIT) के गठन की पुरजोर मांग की।

⚖️ तेज़ सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट दोषियों को जल्द सजा दिलाने के लिए राज्यों की राजधानी में विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का आग्रह किया गया।

🔒 संतों के लिए अलग सुरक्षित मार्ग की मांग रैली में संतों के लिए विशिष्ट सुरक्षित पगडंडी निर्मित करने की मांग को प्रमुखता दी गई।

🚨 द्वेष फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग यूएपीए और एनएसए जैसे कड़े कानूनों के अंतर्गत समाज विरोधी संगठनों पर कार्रवाई की मांग भी की गई।

🕊️ शांति के प्रतीक, संतों का अपमान बर्दाश्त नहीं जैन समाज ने यह स्पष्ट किया कि तपस्वी और वैरागी संतों के खिलाफ कोई भी साजिश पूरे समाज को आहत करती है।

🧘 त्याग, तपस्या और साधना की रक्षा आवश्यक समाज का मत है कि भौतिकवाद से दूर रहकर समाज को दिशा देने वाले संतों की रक्षा राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए।

इस महारैली ने न केवल जैन समाज की भावनाओं को स्वर दिया, बल्कि संतों की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस जनआंदोलन पर कैसे संज्ञान लेती हैं।

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