
जालोर-जैन कनेक्ट संवाददाता | राजस्थान के प्रसिद्ध जालोर जिले के भांडवपुर जैन तीर्थ में गुरुवार को पंचान्हिका महोत्सव के पांचवें दिन एक अद्भुत और भावनात्मक क्षण ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। महज 12 वर्षीय मुमुक्षु आदित्य कुमार ने सांसारिक मोह-माया का त्याग करते हुए संयम का मार्ग चुना और दीक्षा ग्रहण कर जैन मुनि बने। दीक्षा महोत्सव का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
🌿 बालक ने अपनाया संयम का मार्ग सिर्फ 12 साल की उम्र में आदित्य कुमार ने सांसारिक सुखों का परित्याग कर मुनि बनने का निर्णय लिया, जो आज के युग में विरल उदाहरण है।
🎺 गाजे-बाजे के साथ दीक्षार्थी का स्वागत राज चन्दन मंजू वाटिका से शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें गाजे-बाजे और उत्साह के साथ दीक्षार्थी पांडाल पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
🙏 जैनाचार्य की निश्रा में संपन्न हुई दीक्षा विधि जैनाचार्य जयरत्नसूरीश्वर, साध्वी अरुणाप्रभा और अन्य साधु-साध्वियों की उपस्थिति में दीक्षा विधि विधिपूर्वक संपन्न हुई।
🔔 ओघा प्राप्त कर आनंदित हुए दीक्षार्थी जैनाचार्य द्वारा ओघा प्रदान किए जाने के पश्चात दीक्षार्थी भावविभोर हो उठे।
✂️ केशलोचन ने बढ़ाई भावुकता जब बालक ने अपने वस्त्र परिवारजनों को सौंपे और केशलोचन कराए, तो उपस्थित जनसमूह की आंखें नम हो गईं।
👕 मुनि वेश में हुआ स्वागत श्वेत वस्त्र धारण कर मुनि वेश में जैसे ही वे पांडाल में लौटे, जय जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
🧘 मुनि पूर्णानंद विजय नामकरण दीक्षा के पश्चात आदित्य कुमार का नया नाम ‘मुनि पूर्णानंद विजय महाराज’ रखा गया।
🏗️ तप मंदिर का हुआ शिलान्यास महोत्सव के अंतिम दिन तप मंदिर का शिलान्यास विधिवत पूजन के साथ संपन्न हुआ।
🕊️ योगिराज शांतिविजय का पुण्योत्सव इस अवसर पर योगिराज शांतिविजय का 29वां पुण्योत्सव भी श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
🪔 जैनाचार्य का प्रेरणादायी प्रवचन जैनाचार्य ने कहा कि तप आत्मा की शुद्धि का माध्यम है और इससे 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्ति मिलती है।
यह दीक्षा महोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह संयम, त्याग और आत्मिक शुद्धि की एक जीवंत प्रेरणा बनकर उपस्थित जनों के हृदय में अमिट छाप छोड़ गया। मुनि पूर्णानंद विजय का यह कदम आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया है।
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