सोमवती पूर्णिमा पर ब्रह्मसर कुशलधाम में भव्य महापूजन

बाड़मेर–जैन कनेक्ट संवाददाता | खरतरगच्छाचार्य पूज्य जिन मनोज्ञ सूरीश्वर महाराज की प्रेरणा और दादा जिन कुशल सूरि ट्रस्ट ब्रह्मसर के तत्वावधान में सोमवती पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कुशलधाम, ब्रह्मसर परिसर में विशेष महापूजन का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया। इस आयोजन में तीनों मंडलों — जिन कुशल युवा मंडल, कुशल दर्शन मित्र मंडल और जिन कुशल मनोज्ञ महिला मंडल — की सहभागिता उल्लेखनीय रही।

🔸 📖 ऋद्धिसार कृत वृहद पूजा से हुई शुरुआत कार्यक्रम की शुरुआत कवि ऋद्धिसार द्वारा रचित वृहद पूजा वाचन से की गई, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।

🔸 🛁 स्वयमेव उत्कीर्ण चरण बिंब का पंचामृत अभिषेक 450 वर्ष पुराने दादा जिन कुशल सूरि महाराज के चरण बिंब का पंचामृत से अभिषेक कर केसर, चंदन और पुष्पों से अंग पूजा की गई।

🔸 🪔 धूप-दीपक और नैवेद्य से की गई विशेष अर्पणा पूजन में धूप, दीपक, अक्षत, नैवेद्य, फल, वस्त्र और ध्वज समर्पित किए गए, जिनके माध्यम से देश की सीमाओं की रक्षा हेतु प्रार्थनाएं की गईं।

🔸 🙏 सेनाओं के लिए शांति और सुरक्षा की प्रार्थना पूजा के दौरान भारत की सीमाओं पर तैनात जवानों की सुरक्षा और पराक्रम के लिए मंगलकामनाएं अर्पित की गईं।

🔸 👥 श्रद्धालुओं ने लिया विविध चढ़ावों का लाभ प्रकाशचंद मालू, ज्ञानचंद डूंगरवाल, दिनेशकुमार मालू, कैलाश स्वरूप बागचार सहित अनेक श्रद्धालुओं ने चढ़ावों में सहभागिता की।

🔸 👩 महिला मंडल की सक्रिय सहभागिता महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी राखेचा और उपाध्यक्ष शांति श्रीमाल ने सेनाओं के प्रति आभार व्यक्त किया और आयोजन को सशक्त बनाया।

🔸 🛐 दादा गुरुदेव के चरणों में विशेष आराधना महापूजन में दादा गुरुदेव की आराधना कर भक्तों ने आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।

🔸 📣 ट्रस्टी और समाजजन रहे उपस्थित विजय सिंह जैन, स्वरूप बरडिया, कैलाश बागचार समेत कई प्रमुख ट्रस्टी और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

🔸 💬 संगठन प्रतिनिधियों ने व्यक्त किए विचार सभा सभापति महेंद्र बाफना, धर्मवीर राखेचा, दिलीप पारख आदि ने आयोजन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

🔸 🧘 शांत वातावरण में भक्ति रस की अनुभूति पूरे आयोजन में भक्ति, अनुशासन और श्रद्धा का अनूठा संगम देखने को मिला, जिससे भक्तगणों ने आत्मिक शांति प्राप्त की।

कुशलधाम, ब्रह्मसर में संपन्न यह महापूजन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज की एकजुटता, राष्ट्रभक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक बनकर उभरा। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर अपने भावों के साथ देश और धर्म के लिए प्रार्थना की।

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