उदयपुर में भगवान महावीर की शोभायात्रा ने बिखेरा भक्ति और संस्कारों का रंग

उदयपुर – जैन कनेक्ट संवाददाता | श्रमण भगवान महावीर स्वामी के 2624वें जन्म कल्याणक महोत्सव पर उदयपुर की फिजाओं में गुरुवार को धर्म, भक्ति और संस्कारों की अनूठी छटा बिखर गई। “जियो और जीने दो”, “बोलो महावीर की जय” जैसे जयघोषों से शहर गूंज उठा। टाउनहॉल स्थित नगर निगम परिसर से शुरू हुई यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस अपने प्रारंभिक स्थल पर समाप्त हुई।

🚩 शोभायात्रा की भव्य शुरुआत सुबह 8:30 बजे नगर निगम प्रांगण से शुरू हुई शोभायात्रा ने सूरजपोल, बापूबाजार, देहलीगेट जैसे प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए धार्मिक उत्सव का रंग चढ़ा दिया।

🐘 हाथी, घोड़े और रथों की अलंकारित सहभागिता शोभायात्रा में 1 हाथी, 11 घोड़े, 21 झांकियां, रथ और सप्तकिरण रथ ने लोगों को आकर्षित किया, बच्चों की स्केटिंग और बैण्ड दलों ने जोश भर दिया।

🎼 धार्मिक गीतों और घोषों से गूंज उठा शहर महिलाओं ने भगवान महावीर के स्तवन करते हुए पूरे उत्साह से भाग लिया, उनके साथ पुरुष भी श्वेत वस्त्रों में श्रद्धा के साथ सम्मिलित हुए।

🎨 22 सामाजिक संदेशवाहक झांकियां स्वच्छता, नशामुक्ति, जल संरक्षण, शाकाहार, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर आधारित 22 झांकियों ने समाज को प्रेरित किया।

🎊 31 से अधिक प्रभावना केंद्र शहर में विभिन्न स्थानों पर स्वागत द्वार और प्रभावना केंद्र स्थापित कर यात्रियों का स्वागत किया गया।

🚴 1008 दुपहिया वाहन बने शोभायात्रा का हिस्सा 1008 दोपहिया वाहनों की शोभायात्रा में उपस्थिति ने आयोजन को भव्य रूप प्रदान किया।

👦 41 स्केटिंग बालकों की विशेष प्रस्तुति स्केटिंग करते हुए बच्चों ने दर्शकों का मन मोह लिया और शोभायात्रा में ऊर्जा का संचार किया।

📣 पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की उपस्थिति बापूबाजार में शोभायात्रा के स्वागत के दौरान राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने अनेकांतवाद और अपरिग्रह की शिक्षाओं को वर्तमान समय के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।

🧘 भगवान महावीर के सिद्धांतों पर प्रेरक संदेश शोभायात्रा के माध्यम से भगवान महावीर के सत्य, अहिंसा और संयम के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया गया।

🌼 सभी वर्गों की उत्साहपूर्ण भागीदारी समाज, विद्यालय, महिला मंडलों और संगठनों की सक्रिय सहभागिता से यह शोभायात्रा जनजन की आस्था का प्रतीक बन गई।

यह शोभायात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का माध्यम बनी। महावीर के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारने का संदेश देती यह यात्रा शहरवासियों को संयम, सद्भाव और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देकर संपन्न हुई।

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