मेलबर्न में बन रहा भव्य जैन मंदिर : समाज ने जुटाए १२ मिलियन डॉलर

मेलबर्न – जैन कनेक्ट संवाददाता | ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में स्थित दक्षिण-पूर्वी उपनगर में एक ऐतिहासिक निर्माण कार्य जारी है। यहां मकराना संगमरमर से बने 5,000 से अधिक नक्काशीदार टुकड़े एक मंदिर के रूप में जोड़े जा रहे हैं। यह मंदिर न केवल स्थापत्य का चमत्कार होगा, बल्कि भारतीय जैन समुदाय की आस्था, एकता और आत्मिक समर्पण का प्रतीक भी बनेगा। मेलबर्न श्वेतांबर जैन संघ (MSJS) द्वारा संचालित यह परियोजना जैन समाज का वर्षों पुराना सपना है, जो अब साकार होने की ओर अग्रसर है।

💰 12 मिलियन डॉलर की चढ़त मेलबर्न के जैन समाज ने बीते एक दशक में सामूहिक रूप से 12 मिलियन डॉलर की राशि एकत्र कर मंदिर निर्माण की नींव रखी।

🧱 मकराना से आया 1500 टन संगमरमर राजस्थान के प्रसिद्ध मकराना खदानों से 1,500 टन संगमरमर मंगवाया गया है, जो ताजमहल निर्माण में भी उपयोग हुआ था।

🧩 ‘जिगसॉ पजल’ की तरह हो रहा मंदिर निर्माण सभी 5,000 marble टुकड़े राजस्थान में गिनकर तैयार किए गए और मेलबर्न लाकर क्रमवार जोड़े जा रहे हैं।

🛕 बिना स्टील के हो रहा निर्माण जैन धर्म के नियमों के अनुसार, मंदिर में स्टील का उपयोग वर्जित है। इसके स्थान पर ग्लास फाइबर-रेइनफोर्स्ड कंक्रीट तकनीक अपनाई गई।

👨‍👩‍👦 750 सदस्यीय प्रवासी समुदाय की मेहनत मुख्यतः प्रथम पीढ़ी के प्रवासी जैन परिवारों ने न केवल आर्थिक योगदान दिया, बल्कि सेवा और श्रमदान से भी योगदान दिया।

📅 2007 में शुरू हुआ था सपना MSJS की स्थापना 2007 में कुछ परिवारों द्वारा धार्मिक गतिविधियों के लिए की गई थी, जिन्होंने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया।

🙏 प्रत्येक दिन एक उपवासी 2015 से प्रतिदिन एक सदस्य उपवास कर रहा है, अब तक 3,500 से अधिक उपवास पूरे हो चुके हैं।

👦 युवाओं की भी भागीदारी 20 वर्षीय शान्या शाह सहित कई युवा सदस्य भी उपवास और दान में सक्रिय हैं, जो आने वाली पीढ़ियों की श्रद्धा दर्शाता है।

🎉 समारोहों से जुटा धन मूर्ति स्थापना और भूमि पूजन जैसे कार्यक्रमों में करोड़ों डॉलर का दान मिला, जिससे मंदिर निर्माण को गति मिली।

🎯 2026 तक मंदिर पूर्ण होने की उम्मीद MSJS को उम्मीद है कि यह मंदिर वर्ष 2026 के अंत तक पूर्ण रूप ले लेगा, जो लगभग दो दशकों की तपस्या का फल होगा।

मेलबर्न का यह जैन मंदिर परियोजना केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक पीढ़ियों को जोड़ने वाला आध्यात्मिक केंद्र है। यह स्थान न केवल जैन धर्म की शिक्षाओं को आगे बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय मूल्यों और संस्कृति की पहचान भी बनेगा।

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