
उदयपुर – जैन कनेक्ट संवाददाता | उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय में जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के अंतर्गत एक ऐतिहासिक पहल के रूप में ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ जैनोलॉजी एंड प्राकृत भवन की शुरुआत की गई। यह नवनिर्मित भवन न केवल जैन दर्शन और प्राकृत भाषा के संरक्षण और प्रचार का केंद्र बनेगा, बल्कि डिजिटल युग में प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए भी एक सशक्त मंच प्रदान करेगा। समारोह का आयोजन श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा मुंबई द्वारा सुविवि के विवेकानंद सभागार में किया गया।
📚 विद्या और शोध का नया केंद्र ग्लोबल इंस्टीट्यूट जैन दर्शन, प्राकृत भाषा और प्राचीन पांडुलिपियों के गहन अध्ययन का वैश्विक केंद्र बनेगा।
🏛️ भवन का भव्य निर्माण करीब 30 हजार वर्गफीट में तीन चरणों में बनने वाले इस भवन का पहला चरण पूरा हो चुका है।
📖 डिजिटल पांडुलिपि केंद्र यह संस्थान देश-विदेश की दुर्लभ पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण कर शोधकर्ताओं को ऑनलाइन सुविधा प्रदान करेगा।
🗣️ प्राकृत कक्षा की स्थापना प्राकृत भाषा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से यहां प्राकृत भाषा की पढ़ाई के लिए विशेष कक्षा शुरू की गई है।
🧓 सेठी परिवार की प्रेरणा इस परियोजना की प्रेरणा स्व. निर्मल न कुमार सेठी रहे, जिनके पुत्र धर्मेंद्र कुमार सेठी के प्रयासों से यह संभव हुआ।
🪙 तीन करोड़ की लागत भवन निर्माण की कुल लागत तीन करोड़ रुपये है, जिसमें एक करोड़ की लागत से ग्राउंड फ्लोर बन चुका है।
📚 50 हजार ग्रंथों का संग्रहण लक्ष्य नवनिर्मित पुस्तकालय में 50,000 से अधिक ग्रंथों को संग्रहित करने की योजना है।
🎓 शोधार्थियों के लिए वरदान इस संस्थान से जैन दर्शन और प्राकृत भाषा में शोध करने वाले विद्यार्थियों को बहुमूल्य सामग्री प्राप्त होगी।
🧱 कीर्ति स्तंभ व सभा मंडप का निर्माण कीर्ति स्तंभ प्रदीप कुमार जैन के सहयोग से और सभा मंडप का निर्माण पहले चरण में किया गया है।
🌍 उदयपुर को वैश्विक पहचान यह संस्थान उदयपुर को सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
यह संस्थान जैन संस्कृति, साहित्य और भाषा के संरक्षण के लिए एक मजबूत आधारशिला है, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल ऐतिहासिक ज्ञान देगा, बल्कि डिजिटल युग में उससे जुड़ने का माध्यम भी बनेगा।
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